स्वास्थ्य मंत्रालय मेहरबान, स्पोर्ट्स इंजूरी सेंटर में खिलाड़ियों को मिलेगी विस्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं

वर्ष 2021 का है लक्ष्य, तीन एकड में बनेगा हाईटेक विंग -चोटिल खिलाड़ियों की होगी मुश्किलें कम, मिलेगी जल्द ही दर्द से राहत

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , विभिन्न खेलों में चोटिल खिलाड़ियों और उनके परिजनों के लिए राहत की खबर है। केंद्र सरकार दुनियार के कुछ चुनिंदा मसलन अमरीका, ब्रिटेन की तर्ज पर अब उन्हें स्पोर्ट्स इंजूरीज के बाद नैदानिक जांच व इलाज के लिए विदेश के अस्पतालों में इलाज कराने के लिए नहीं जाना पड़ेगा। सफदरजंग अस्पताल से संबंद्ध स्पोर्ट्स इंजूरी सेंटर (एसआईसी) अस्पताल का विस्तार किया जा रहा है। जहांपर विस्तरीय स्पोर्ट्स इंजरी सेवाएं प्रदान की जाएंगी। केंद्र सरकार की वित्त मंत्रालय ने इस सेंटर के विस्तार के निर्माण संबंधी प्रस्ताव को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस सेंटर में 156 आईसीयू बेड होंगे। करीब 483 करोड़ रु पये के इस प्रोजेक्ट के बनने के बाद खिलाडिय़ों के ऑपरेशन की वेटिंग भी कम होगी।
योजनाविदों का दावा:
वर्ष 2021 तक तीन एकड़ की जमीन पर देश का पहला अन्तरराष्ट्रीय सुविधाओं से सुसज्जित स्पोर्ट्स मेडिसिन सेंटर बनकर तैयार होगा। इसमें सिंगापुर, अमरीका, इंग्लैंड समेत अन्य विकसित देशों की तर्ज पर बने इन्टरनल स्पोर्ट्स इंजूरी केंद्रों की सुविधाएं होगी। अन्तरराष्ट्रीय सुविधाओं में पानी के अंदर ट्रेडमिल हाई अल्टीट्यूड ट्रेनिंग चैम्बर कैडेवरिक लैब, इलाज के साथ-साथ स्पोर्ट्स इंजरी की पढ़ाई और ट्रेनिंग भी होगी। यह भारत सहित साउथ ईस्ट एशिया के खिलाडिय़ों के लिए बेस्ट सेंटर साबित होगा। अभी यहां सिर्फ 35 बिस्तरों की सुविधा है जोकि नया सेंटर शुरू होने के बाद करीब 150 से ज्यादा होगी।
एक्सपर्टस की नजर में:
डॉक्टरों का मानना है कि खेल से जुड़ी चोटें अलग होती हैं। इसमें मरीज को स्वस्थ्य करने के साथ साथ खिलाड़ी को दोबारा से उसी क्षमता के साथ मैदान में उतारना होता है। जैसा चोट लगने से पहले था। ये काफी मुश्किलों भरा होता है। इसके पीछे एक वजह ये भी होती है कि मरीज के जीवन के साथ साथ उसका पूरा कैरियर भी अधर में होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर का विस्तार किया जा रहा है। सेंटर के निदेशक डा. आरके आर्या ने बताया कि खिलाड़ियों की रिकवरी के लिए अंडर वॉटर जिम बनेगी। पानी के अंदर इस तरह की फिजियोथैरेपी से एथलेटिक्स को ज्यादा फायदा होता है।
पकड़ रही है रफ्तार:
वर्ष 2011 में शुरू हुए देश के इकलौते स्पोट्र्स इंजरी सेंटर में 52133 मरीजों ने उपचार कराया। जबकि मरीजों की ये संख्या 2018 में 1 लाख 20 हजार से ज्यादा रिकॉर्ड की गई।

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