जब दो स्वास्थ्य मंत्रियों ने टटोली एमबीबीएस स्टूडेंट्स की दु:खदी रग थमा दिया समस्याओं का पुलिंदा, मरीजों ने भी की जमकर शिकायत कहा साहब यहां खून के धब्बों वाली चादरे, बदबूदार कंबल दी जाती है

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली,लेडी इर्विन एवं लेडी हार्डिग्स के नाम से विख्यात श्रीमती सुचेता कृपलानी से संबद्ध लेडी हार्डिग मेडिकल कालेज (एलएचएमसी) के स्टूडेंट्स एवं फैकल्टी सदस्यों के साथ ही यहां विभिन्न रोगों का इलाज करा रहे मरीज व उनके रिश्तेदारों के लिए कई माइनों में यादगार रहा। दरअसल, यहां उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के साथ ही एक नहीं दो मंत्री पहुंचे। दोनों ही केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री थे। दीक्षांत समारोह भी पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत संपन्न हुआ। इसमें 81 स्नातकोत्तर और 175 स्नातक छात्रों को डिग्री प्रदान की गई। स्टूडेंट्स, पेशेंट ने कॉलेज प्रशासन की कमियां बताने से नहीं हिचके। नतीजतन दोनों मंत्रियों ने एक सुर में यही कहा कि वे समस्याओं को गंभीरता पूर्वक दूर करने का प्रयास करेंगे।
मंत्री दो समर्थक अलग:
समारोह के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनी चौबे और अनुप्रिया पटेल के अलग-अलग समर्थक थे। डाक्टरों के एक पक्ष ने श्री चौबे को घेर लिया तो श्रीमती पटेल को दूसरे पक्ष ने। पहले अलग अलग गुट में सामूहिक फोटो भी खिंचवाए। यहां तक तो सबकुछ ठीक रहा। फिर जब श्री चौबे ने एमबीबीएस तीसरे वर्ष की स्टूडेंट्स से पूछा कि कोई दिक्कत तो नहीं है। इस सहानुभूति भरे प्रश्न ने मानों उनकी दु:खती रख को ही छेड़ दिया। वे फूट पड़ी और कहा कि सर यहां तो दिक्कत ही दिक्कत ही है। सफाई, सुरक्षा, क्लीनिकल सैक्शन की स्थिति बहुत ही खराब है। तो वहीं श्रीमती पटेल को घेरे स्टूडेंट्स ने कहा कि यहां सीनियर्स का व्यवहार जूनियर्स के प्रति रुखा है। लाइब्रेरी में नवीनतम आयुर्विज्ञान क्षेत्र में हो रही प्रगति के बारे में रेफरेंस नहीं है। डिजिटल लाइब्रेरी का जमाना है यहां तो हमें अभी भी मैडम् धूल भरी पुस्तकों में सालों पहले लिखित रेफरेंस के सहारे पढ़ना पड़ता है। इस बारे में आप सुधार करे तो हमारे साथ ही इस प्रोफेशन में आने वाले नये स्टूडेंट्स का भविष्य और सुधर सकता है। फोर्डा के अध्यक्ष डा. विवेक चौकसे ने तो बकायदों दोनों ही मंत्रियों को अलग अलग ज्ञापन थमा दिया। जिसमें कालेज के विस्तार संबंधी योजना वर्षो से लंबित पड़ी है, उसे जल्द पूरा कराने, इमरजेंसी में जीवन रक्षक दवाएं, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड मशीनों का रखरखाव, डाक्टरों के रिक्त पदों को भरना आदि शामिल था।
मरीजों भी नहीं रहे पीछे:
स्त्री एवं प्रसूति कक्ष में भर्ती रजनी ने कहा कि साहब, यहां खून के धब्बों वाली चादरें दी जाती है। कंबल इतने गंदे हैं कि त्वचा संबंधी रोग होने के साथ ही सांस लेने तक में दिक्कत होती है। दवाएं मरहम, पट्टी, इजेंक्शन तक बाजार से मंगाया जाता है। उसकी तरह ही यहां अन्य मरीजों ने अपना दर्द बयां किया। हालांकि बाद में श्री चौबे ने सालीनता पूर्वक उनकी दिक्कतों को दूर करने के लिए लेडी हार्डिग मेडिकल कॉलेज के निदेशक डा. राजीव गर्ग और अपर स्वास्थ्य सचिव संजीव कुमार को निर्देश दिए।
यह भी:
इस कालेज की स्थापना वर्ष 1916 में की गई थी। देश की आजादी के बाद वर्ष 1950 दिल्ली विविद्यालय से इसे संबद्ध किया गया। आयुष्मान भारत, राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन के तहत 50 करोड़ गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सार्वभौमिक चिकित्सा सेवा प्रदान की जा रही है। युवा डाक्टर गांव में प्रैक्टिश करने से पीछे हट रहे हैं।

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