स्वस्थ भारत के लिए स्वच्छ भारत पहली शर्त: वेंकैया डाक्टरों को नैतिकता और ईमानदारी के उच्च मानदंडों का पालन करना चाहिए

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू ने कहा है कि स्वस्थ भारत के लिए स्वच्छ भारत पहली शर्त है। वह शुक्रवार को यहां लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अिनी कुमार चौबे तथा अनुप्रिया पटेल और कई अन्य गणमान्य लोग इस अवसर पर उपस्थित थे। इस मौके पर राष्ट्रपति ने एमबीबीएस एवं एमडी करने के साथ ही स्वास्थ्य क्षेत्र में उत्कृष्ठ योगदान देने वाले चिकित्सकों को डिग्रियां व सम्मान प्रदान किए।

 उपराष्ट्रपति ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों के शिक्षकों का काम सिर्फ  युवाओं को चिकित्सा ज्ञान और कौशल प्रदान करना ही नहीं बल्कि उन्हें एक ऐसा सजग नागरिक भी बनाना भी है जो नैतिक मूल्यों और ईमानदारी के उच्च मानदंडों का पालन करें। उन्होंने कहा कि ऐसी मान्यता है कि एक वर्ष की योजना बनाने वाला व्यक्ति अनाज उपजाता है। 10 वर्ष की योजना बनाने वाला फल देने वाले वृक्ष लगाता है और कई पीढ़ियों की योजना बनाने वाला एक संपूर्ण मानव तैयार करता है।
सब मिलकर करें काम:
उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्वस्थ भारत के लिए स्वच्छ भारत पहली शर्त है जिसके लिए जनस्वास्थ्य सेवा विशेषज्ञों पेशेवरों स्थानीय निकायों और सामुदायिक संस्थाओं को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने आगे कहा कि देश भर के ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव और चिकित्सकों तथा अर्ध चिकित्सों की कमी एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए देश को मेडिकल कॉलेजों या फिर अर्ध चिकित्साकर्मिंयों के रूप में बड़ी संख्या में मानव संसाधन की आवश्यकता होगी।
रोगी का विास जीते डाक्टर:
श्री नायडू ने कहा हमारे देश में डाक्टरों को भगवान के समकक्ष माना गया है। ऐसे में चिकित्सा के पेशे में शामिल होने वाले सभी लोगों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह उन रोगियों के विास और भरोसे को कायम रखें जो उनसे उपचार करा रहे हैं। उन्होंने डाक्टरों को सलाह दी की वह अपने पेशे में हर स्तर पर नैतिकता और ईमानदारी के उच्च मानदंडों को बनाए रखें।
उन्होंने कहा मुझे पूरा विास है कि लेडी हार्डिंग मेडिकल कालेज के सभी छात्र इस प्रतिष्ठित संस्थान की परंपरा को आगे लेकर जाएंगे और एक स्वस्थ भारत के निर्माण में योगदान करेंगे। उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन भारतीय पंरपरा के अनुसार डाक्टरों का नाम पूरी श्रद्धा के साथ लिया जाता हैए उन्हें वैद्यो नारायणो हरिथि कहा गया है। उन्होंने डाक्टरों से कहा आप जिस महान पेशे से जुड़े हैं उसमें रोगों को समझने उसके निदान और उसके उपचार के सामाथ्र्य वाला दिव्य स्पर्श शामिल है।

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