इस वित्त वर्ष में वंदे भारत ट्रेन के डिब्बों का निर्माण नहीं हेागा : रेलवे बोर्ड

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भारत चौहान नयी दिल्ली, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वी के यादव ने सोमवार को कहा कि इस वित्त वर्ष में वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के डिब्बों का निर्माण नहीं किया जाएगा। साथ ही, रेलवे ने अधिक ऊर्जा खपत की वजह से तीसरी रेल के उत्पादन को भी रोक दिया है। बहरहाल, उन्होंने कहा कि ट्रेन से जुड़े मुद्दों का समाधान कर दिया गया है और मार्च 2022 तक 40 और ऐसी ट्रेनें बनायी जाएंगी। इस साल के शुरू में चेन्नई स्थित ‘समन्वित कोच कारखाने (आईसीएफ) में स्वयं चलने वाली इंजन रहित ट्रेन के उत्पादन को पक्षपात और पारदर्शिता की कमी के आरोप पर रोक दिया है। यादव ने कहा कि नए मानकों के आधार पर बोली लगाने की प्रक्रिया 31 अक्टूबर से शुरू होगी। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि इस ट्रेन की बिजली खपत वि मानकों से काफी ज्यादा है। हमें एहसास हुआ कि हम जब बड़ी संख्या में उत्पादन करते हैं तो हमारे पास इतनी ज्यादा बिजली की खपत करने वाली ट्रेन नहीं हो सकती है। इसलिए हमने आरडीएसओ के जरिए मानकों की समीक्षा करने का फैसला किया ताकि उन ट्रेनों को ऐसा बनाया जाए जिसमें बिजली की कम खपत हो। हम 2019-20 में और वंदे भारत एक्सप्रेस नहीं बनाएंगे लेकिन हम 2020-21 में 15, 2021-22 में 25 ट्रेनों को तैयार करेंगे। आईसीएफ ने पहली दो वंदे भारत ट्रेनों का निर्माण किया था और विवाद के बीच जून में तीसरी ट्रेन के लिए सभी निविदाओं को रद्द कर दिया था। एक अन्य रेलवे अधिकारी ने बताया कि उद्योग से मिली प्रतिक्रिया (फीडबैक) के आधार पर भारतीय रेलवे बोलियां दाखिल कराने के लिए जमा करने के लिए समुचित समय देने पर सहमत हो गया है। दूसरी वंदे भारत एक्सप्रेस दिल्ली से कटरा के बीच चलेगी। यादव ने कहा कि रेलवे ने मानव रहित क्रॉंिसगों को पूरी तरह से खत्म कर दिया है और अगले चार साल में सबसे व्यस्तम मागरें से चौकीदार वाले रेल फाटकों को खत्म करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान व्यस्तम मागरें पर चौकीदार वाले रेल फाटकों को खत्म करने पर केन्द्रित है। हम पहले ही 50,000 करोड़ रुपये की लागत से एक बार में 2565 क्रॉंिसग खत्म करने के लिए एक मसौदा कैबिनेट नोट भेज चुके है। हम केंद्र सरकार से 100 फीसदी कोष मांग रहे हैं और उम्मीद है कि अगले चार साल में इन्हें खत्म कर देंगे। यादव ने कहा कि रेलवे उत्पादन इकाइयों का निगमीकरण करने के विचार का मकसद उत्पादन में इजाफा करना है ताकि ये न सिर्फ रेलवे की सभी जरूरत पूरी कर पाएं और निर्यात के लिए भी उत्पादन कर सकें। उन्होंने कहा कि पक्षों से चर्चा के बिना निगमीकरण पर फैसला नहीं किया जाएगा। यादव ने कहा कि रेलवे एक नीति बना रहा है। इसके तहत यात्री न सिर्फ ई-केटंिरग के जरिए अपनी पसंद का खाना ऑर्डर कर पाएंगे बल्कि उनके पास किफायती दाम पर खाना ऑर्डर करने का भी विकल्प होगा। उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि अलग अलग तरह के ग्राहक होते हैं। ऐसे लोग जो खाने पर बहुत ज्यादा पैसा खर्च नहीं करना चाहते हैं, हम उनके लिए 50 रुपये में छोले भटूरे, डोसा, पूड़ी सब्जी जैसे भोजन की व्यवस्था करेंगे। वहीं जो लोग 200-250 रुपये तक खर्च करना चाहते हैं तो ई-केटंिरग के जरिए खाना ऑर्डर कर सकते हैं। हम इसे अंतिम रूप दे रहे हैं।

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