ज्ञान प्रकाश के साथ भारत चौहान
नयी दिल्ली दिल्ली उच्च न्यायालय ने ‘‘गैर-जरूरी’’ सीजेरियन ऑपरेशन को जच्चा-बच्चा के लिए नुकसानदेह और उनके मानवाधिकारों का हनन करार देते हुए आज दिल्ली सरकार से यह बताने को कहा कि कुछ अस्पतालों की ओर से जारी रखे गए इस चलन को रोकने के लिए उसने कौन-कौन से कदम उठाए।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालर्य डीजीएचएसी से कहा कि वह गैर-जरूरी सीजेरियन ऑपरेशनों के चलन पर लगाम लगाने के लिए गठित समिति के निष्कषरें के परिणाम रिकॉर्ड पर लाए।
न्यायालय ने कहा, ‘‘डीजीएचएस इस मुद्दे पर हुए विचार-विमर्श और उठाए गए कदमों के परिणाम रिकॉर्ड पर लाएगा।’’
मामले की अगली सुनवाई नौ जुलाई को होगी।
न्यायालय एक एनजीओ की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई कर रहा था। याचिका में दावा किया गया है कि नियमन की कमी के कारण निजी अस्पतालों में सीजेरियन ऑपरेशन के जरिए बच्चों के जन्म के मामले बढते जा रहे हैं।