कुपोषण के संकट का उपाय तलाशने के लिए दिग्गज एक मंच पर करेंगे मंथन -तीन दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में 250 से ज्यादा भागीदार, 13 देशों के नीति निर्माता करेंगे शिरकत

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, देश को कुपोषण मुक्त भारत के रुप में गुगल के पटल पर लाने के लिए अब दक्षिण और पूर्व एशिया की शीषर्स्थ एजेंसियां एक मंच पर काम करने के लिए रणनीति तैयार कर ली है। तैयार एजेंडा के तहत कुपोषण के दोगुने बोझ और भोजन की व्यवस्था में हुए बदलावा से जनस्वास्थ्य पर पड़ने वाले विभिन्न गंभीर परिणामों 28 मार्च से तीन दिवसीय इंटरनेशनल कांफ्रेस यहां राजधानी के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित किया जाएगा। इस सम्मेलन में 250 से ज्यादा
भागीदार, जिसमें 13 देशों के नीति निर्माता, कार्यकर्ता, शिक्षाविद, शोधकर्ता केवल कुपोषण के नुकसान पर ही नहीं, बल्कि जरूरत से ज्यादा पोषण के नकारात्मक प्रभावों पर विचार-विमर्श करने के लिए मंच साझा करेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि आजकल की दुनिया में जरूरत से ज्यादा पोषण की जडें भी कुपोषण की तरह समान रूप से फैली है। दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में कुपोषण का उच्चतम स्तर देखा जा रहा है। इस क्षेत्र में एक नई स्थिति की ओर तेजी से संक्रमण देखने को मिल रहा है,जिसकी परिभाषा कुपोषण के दोगुने बोझ के रूप में की जाती है, जहां कुपोषण में कमी से हुए लाभ का प्रभाव वजन के बढ़ने और बढ़ते मोटापे से कम या कमजोर हो जाता है।
यह देश करेंगे शिरकत:
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव डा. अरुण गुप्ता के अनुसार भारत के अलावा ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, अमेरिका, थाइलैंड, बांग्लादेश, इटली, दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको और स्विटजरलैंड शामिल होंगे। इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क-एशिया के क्षेत्रीय समन्वयक प्रोफेसर के. श्रीकांत रेड्डी, ब्राजील की साउथ पाउलो यूनिर्वसटिी में पब्लिक हेल्थ फांउडेशन ऑफ इंडिया के प्रोफेसर करोस मोंटेरियो, र्वल्ड हेल्थ पब्लिक न्यूट्रिशन एसोसिएशन की मिस मार्गरेट मिलर शामिल हैं।
थीम:
पब्लिक हेल्थ रिसोर्स नेटवर्क की राष्ट्रीय संयोजक डॉ. वंदना प्रसाद ने कहा इस सम्मेलन का लक्ष्य कुपोषण या ज्यादा पोषण प्रसार संबंधी साक्ष्यों को एक-दूसरे से जोड़ना है। इसके अलावा इस सम्मेलन में पोषण और बीमारी, नीति और कार्यक्रम संबंधी प्रतिक्रियाओं पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। सम्मेलन में भोजन और पोषण की नीति को फिर से आकार देने के सामुदायिक प्रयास को इस सम्मलेन में जिन विषयों और थीम पर विचार-विमर्श होगा, उनमें पोषण से संबंधित कानून और नीतियां, खाद्य व्यवस्था, भूमि सुधार और भूमि हासिल करना, कृषि नीतियां, खाद्य उत्पादन, प्रोसेसिंग और उसका प्रभाव, एग्री बिजनेस की भूमिका और नियम, फूड एंड ब्रीवरेज कॉरपोरेशन और स्तनपान और शिशु आहार को बढ़ावा देने वाली निगमों, मौजूदा चुनौतियों और उनके समाधान के लिए उठाए गए सकारात्मक समाधान, पोषण से संबंधित तकनीकी मुद्दों, कुपोषण से संबंधित मुद्दों पर सामाजिक जनजागरूकता लाने और इसके समाधान के लिए नीतियां बनाने की वकालत करना जैसी विविध श्रेणियां शामिल हैं।

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