भारत चौहान नई दिल्ली,पिछले एक दशक के भीतर भारतीय बच्चों में मोटापा दोगुनी रफ्तार से बढ़ा है। पिज्जा, बर्गर और चाइनीज जैसे खानपान की वजह से न सिर्फ मोटापा, बल्कि इन बच्चों में मधुमेह जैसी बीमारियां भी देखने को मिल रही हैं। छोटी सी उम्र में ही ये तरह तरह की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। जबकि महज खानपान ठीक करने से इस समस्या से निजात पाई जा सकती है। ये कहना है पब्लिक हेल्थ रिसोर्स नेटवर्क की राष्ट्रीय संयोजक डॉ. वंदना प्रसाद का।
बुधवार को दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में शुरू हुई तीन दिवसीय कान्फ्रेंस के उद्घाटन पर उन्होंने राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वे 2016 का हवाला देते हुए बताया कि देश में इस वक्त 18.6 फीसदी पुरुष और 20.7 फीसदी महिलाएं मोटापा ग्रस्त हैं। जबकि देश के सर्वाधिक 280 जिले ऐसे हैं, जहां पुरुष और महिलाओं में मोटापा सबसे ज्यादा देखने को मिला है। इनमें शीर्ष जिलों की बात करें तो झारखंड का सिमडेगा, एमपी का बालाघाट, दतिया, विदिशा, शिवपुरी, उमरिया, छत्तीसगढ़ का दक्षिण बस्तर दंतेवाडा, यूपी का हरदोई और सीतापुर इनमें शामिल हैं। यहां सबसे ज्यादा मोटापा की परेशानी देखने को मिल रही है।
डॉ. वंदना का कहना है कि अगर लोग पैक फूड का सेवन न करके हमेशा घर के भोजन को ज्यादा तवज्जो देते हैं और संतुलित आहार का सेवन करते हैं तो इस देश को मोटापा से मुक्त कराया जा सकता है। उन्होंने ये भी बताया कि सरकार इस ओर कम ध्यान दे रही है। अगर जल्द ही आहार पर ध्यान नहींंदिया तो दिक्कत कई गुना ज्यादा बढ़ जाएगी। वहीं नरोत्तम शेखसरिया फांउडेशन की उपाध्यक्ष लेनी चौधरी ने बताया कि कान्फ्रेंस में कुपोषण और ज्यादा पोषण के प्रसार के संबंध में मंथन किया जाएगा।
कुपोषण के दोगुने बोझ और भोजन की व्यवस्था में हुए बदलाव से जनस्वास्थ्य पर पडऩे वाले विभिन्न गंभीर परिणामों पर आयोजित इस कान्फ्रेंस में 13 देशों के स्वास्थ्य विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं। साथ ही ब्राजील से टीम आई है, जो अपने यहां के मॉडल को प्रस्तुत करेंगे।