पर्यावरण दिवस बचाने के लिए तीन एजेंसियों ने किए समझौता -बच्चे वायु प्रदूषण से ज्यादा हो रहे हैं बीमार

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली , पर्यावरणविदों और चिकित्सा वैज्ञानिकों ने ग्लोबल वार्मिग पर चिंता जताते हुए ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण करने के साथ ही प्रदूषित ईकाइयों की स्थिति सुधारीने पर जोर दिया है। वि पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर मंगलवार को यहां आईएचसी सेंटर में अपोलो हॉस्पीटल्स ने वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर से निपटने के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के साथ गठजोड़ किया। विशेषज्ञों ने वायु प्रदूषण के आम कारणों तथा व्यैक्तिक स्तर पर इसे कम करने के तरीकों की सूची बनाई। विशेषज्ञों ने कहा कि वायु प्रदूषण से बच्चों की सेहत पर तेजी से बुरा असर पड़ रहा है।
इस मौके पर आईएमए में एचबीआई के चेयरमैन डा. वीके मोंगा ने बताया कि इस साल के थीम, ‘वायु प्रदूषण को पछाड़िए’, है। सभी नागरिकों से कार्रवाई की अपील की गई। इसका मकसद वायु प्रदूषण के अंतरराष्ट्रीय संकट से व्यैक्तिक स्तर पर निपटने की अपील थी। अपोलो हास्पिटल्स की संयुक्त प्रबंध निदेशक संगीता रेड्डी ने बताया कि हरेक व्यक्ति औसतन इस वायु प्रदूषण में कितना योगदान करता है। इसके अलावा, समाज के सामूहिक प्रयासों से वायु प्रदूषण कम करने के तरीके की भी जानकारी दी। डा. रेड्डी ने कहा, वि स्वास्थ्य संगठन ने चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए हैं। इससे पता चलता है कि 10 में से 9 लोग उच्च स्तर का वायु प्रदूषण झेलते हैं। हमारे देश में उद्योग, परिवहन, कृषि, घरेलू सामान, कूड़ा जलाने और कुछ प्राकृतिक तत्वों जैसे धूल भरी आंधी से वायु प्रदूषण की गंभीरता हर साल काफी बढ़ती है। यह ऐसा मामला नहीं है जिससे सरकार अकेले निपट सके। इस राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय मामले से निपटने के लिए हर किसी को एकजुट होना चाहिए। वायु प्रदूषण से संबंधित जागरूकता बढ़ाने के लिए आईएमए और डीएमए से जुड़े होने और इस खतरे से निपटने में अपना योगदान करते हुए। वहीं, पर्यावरण डिवीजन के अध्यक्ष डा. के हरिप्रसाद ने कहा बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण वायु प्रदूषण स्वास्थ्य से संबंधित जोखिमों में मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण बन गया है। समय आ गया है कि जिम्मेदार नागरिक के रूप में हम एकजुट हों और इस मामले से निपटें तथा पृथ्वी को रहने के लिए हरा-भरा, स्वास्थ्यकर और खुशहाल बनाएं।
बच्चों पर वायु प्रदूषण का ज्यादा असर:
डा. अनुपम सिबल ने कहा कि वायु प्रदूषण का लोगों की सांस पण्राली , कार्डियो वस्कुलर सिस्टम और मस्तिष्क पर बहुत नुकसानदेह असर होता है। बच्चों पर वायु प्रदूषण का असर ज्यादा होता है क्योंकि शरीर के भिन्न अंगों का विकास कर रहा होता है और ये आसानी से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। इससे पहले कि वायु प्रदूषण कोई ऐसा नुकसान करे जिसे हम ठीक न कर सकें, हमें इसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है। डीएमए के अध्यक्ष डा. गिरीश त्यागीने कहा कि खुले में कूड़ा जलाना भी प्रदूषण का स्तर बढ़ने के कारणों में एक है। कचड़े से गड्ढा भरने वाली जगहों पर ऑर्गेनिक वेस्ट से नुकसानदेह डायऑक्सन, फुरन, मिथेन और ब्लैक कार्बन आदि जैसी गैस निकलती हैं और वायुमंडल में मिलती हैं।
यह भी:
अनुमान है कि दुनिया भर में खाने-पीने की चीजों में करीब 40 प्रतिशत कूड़ा खुले में जलाया जाता है। इसके अलावा, ज्वालामुखी जैसी बाधाएं, धूल भरी आंधी और अन्य प्राकृतिक प्रक्रियाएं भी प्रदूषण के बढ़ते स्तर में योगदान करती है। रेल और धूल की आंधी खसतौर से चिन्ताजनक है।
सुझाव वायु प्रदूषण में कमी लेने के:
-सार्वजनिक परिवहन का उपयोग : वायु प्रदूषण कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग कीजिए। तथ्यों और आंकड़ों के मुताबिक, कार्बन डायऑक्साइड के उत्सर्जन में 30 फीसद गाड़ियों की आवा-जाही से पैदा होता है।
-ऊर्जा कुशल वाहनों की खरीद : गाड़ी खरीदते समय ईधन कुशल और वैकल्पिक ईधन वाले वाहनों की खरीद पर विचार कीजिए।

-गोइंग ग्रीन पर विचार कीजिए : गोइंग ग्रीन का मतलब है पर्यावरण अनुकूल और पारिस्थितिकी के लिहाज से जिम्मेदार जीवनशैली व्यवहार में लाना।
-बगीचा लगाइए : पौधे लगाने से हमें ताजी हवा पाने में सहायता मिलेगी और वायु प्रदूषण कम होगा।

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