वृद्धाश्रमों में अदद स्वास्थ्य को अपडेट करने की है दरकार! -राजधानी में 74 में से 31 वृद्धाश्रम का हाल है बेहाल

एम्स के डॉक्टरों ने उठाया बीड़ा, महीने में एक बार हेल्थ मोबाइल वैन और हेल्दी फूड भेजा जाएगा

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली,बुजुर्गो को हेल्दी सेवाएं देने के मामले में स्वास्थ्य महाकम बेदम साबित हो रहा है। हम बात कर रहे हैं देश की राजधानी दिल्ली के बृद्धाश्रमों का। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 74 वृद्धाश्रम में से 31 में स्वास्थ्य संबंधी कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में इन वृद्धाश्रमों में स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के वैज्ञानिक आगे आए हैं।
ऐसे हुआ खुलासा:
जीरियाट्रिक विभाग के विशेषज्ञों की टीम ने सव्रे किया और पाया कि उनकी कुशलक्षेम जानने के लिए किसी के पास फुर्सत नहीं है। टूटी दीवारें, छत पर जाले मकड़ियों का घर, टोंटियों से बुंद बुंद कर रिस्ता पानी, जगह जगह मच्छर के ढेर जैसी स्थिति देखकर सन्न रह गए। यहां बुजुर्गो के रहने के सिवाय कोई सुविधा नहीं देखी गई। इस बारे में एम्स के जीरियाट्रिक विभाग के असिस्टेंस प्रफेसर डा. प्रसून चटर्जी ने बताया कि इन वृद्धाश्रमों में इंफेक्शन रेट बेहद हाई पाया गया है। साथ ही उन बुजुर्गो की संख्या काफी अधिक हैं जिन्हें फ्रेक्चर हुआ है। इतना ही नहीं इन बुजुर्गो में डिप्रेशन भी काफी अधिक है। हैरानी की बात यह है कि इन बुजुगरे के लिए यहां स्वास्थ्य संबंधी कोई सुविधाएं नहीं हैं। साफ-सफाई की व्यवस्था बेहद खराब थी जिसके चलते भी संक्रमण दर काफी ज्यादा था। यहां बुजुर्ग अपना बमुश्किल से समय काट रहे थे। उन्हें एक्टिव रखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। इनकी इस स्थिति को देखते हुए जीरियाट्रिक विभाग और हेल्दी एजिंग संस्था ने यह फैसला लिया है कि वह महीने में एक बार हेल्थ मोबाइल वैन इन वृद्धाश्रमों में भेजेंगे ताकि जिन बुजुर्गो को स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी है, उनका इलाज किया जा सके। यदि स्थिति ज्यादा गंभीर होगी तो उन्हें एम्स लाया जाएगा। इस वैन में एम्स की तरफ से डॉक्टर्स, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ मौजूद रहेगा। गंभीर स्थिति में पेशेंट को एम्स लाया जाए और उसे सही इलाज मिले, इसके लिए जीरियाट्रिक विभाग तैयार है और ट्रॉमा के डॉक्टरों से बात की जा रही है। वृद्धाश्रम में रह रहे इन बुजुर्गो को सिर्फ दो चीजों की जरूरत है। एक ट्रॉमा और दूसरा जीरियाट्रिक। साथ ही जब इन बुजुर्गो को एम्स में लाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी तो हम एम्स में कुछ वॉलंटियर्स भी रखेंगे जो इनका का ध्यान रख सकें।
महीने में एक बार भेजा जाएगा हेल्दी फूड:
यहां रह रहे बुजुर्गो को पौष्टिक आहार नहीं मिल रहा। ऐसे में यह भी फैसला लिया गया है कि हमारी तरफ से महीने में एक बार इन आश्रमों में पैष्टिक आहार भेजा जाएगा ताकि आश्रम संचालकों को यह बताया जा सके कि इन्हें किस तरह का भोजन दिया जाए और साथ ही इनकी डाइट कैसे बैलेंस की जाए क्योंकि बैलेंस डाइट इनके लिए बेहद जरूरी है।
इसलिए है डिप्रेशन रेट हाई:
स्वास्थ्य सेवाओं के सचिव संजीव खिरवाल के अनुसार इन बुजुर्गो में डिप्रेशन अधिक होने की पहली वजह इनके परिवार वाले हैं। परिवार वाले इन्हें आश्रमों में छोड़ गए हैं और दोबारा कभी मिलने नहीं आते। यदि कोई मिलने आता भी है तो वह कुछ देर इनके पास रुकता है और फिर चला जाता है। दोबारा कब आएगा कब नहीं, कुछ नहीं पता। ऐसे में यह अपने परिवार वालों के इंतजार में बैठे रहते हैं और उदास रहते हैं। साथ ही आश्रमों में अच्छी व्यवस्थाए न मिलना भी डिप्रेशन का कारण है क्योंकि यहां इनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है।

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