आईसीआईसीआई बैंक बोर्ड भंग किया जाए -पिछले वर्ग के लोगों के हितों की अनदेखी का आरोप

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली उत्तर पश्चिमी दिल्ली के भाजपा के सांसद डा. उदित राज ने आईसीआईसीआई बैंक एवं उनकी सहायक कंपनी आईसीआईसीआई लुंबार्ड में जो भी वित्तीय अनियमितताएं एवं भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। प्रेसकांफ्रेंस में डा. उदित राज ने कहा कि वह समाज के अनसूचित जाति/जन जाति एवं ओबीसी के हितों से ज्यादा संबंधित हैं।
यह है पांच आरोप:
कपड़ा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रायोजित ‘राजीव गांधी शिल्पी स्वास्थ्य बीमा योजना’ के अंतर्गत 2009-2010 में 30 हजार वस्त्र-शिल्पियों का रजिस्ट्रेशन किया गया, जिसमें से 11,445 अवैध पाए गए। इस तरह की घटनाएं पश्चिम बंगाल, असम, उत्तर प्रदेश, मणिपुर एवं अन्य राज्यों में भी हुई। जब राजस्थान में मामले सामने आने लगे तो कुछ रकम मंत्रालय को आंशिंक रूप से लौटा दी गयी। दूसरा, श्रीगंगानगर, राजस्थान में कृषि बीमा योजना के अंतर्गत कुल 3158 किसानों को पंजीकृत किया गया, जिसमें से 2093 अवैध पाए गए। मामले जब सामने आए तो बजाए रकम लौटाने के यह रकम तमाम अवैध पंजीकृत किसानों को क्लेम भुगतान के रूप में फर्जी तरीके से दिखा दिए गए। सालाना दिए जाने वाले 75 करोड़ प्रीमियम में से 50 प्रतिशत राशि फर्जी होने का अनुमान है। तीसरा इसी तरह राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना में भी राजस्व के भारी नुकसान का अनुमान है। चौथा, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के लिए प्रायोजित व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा के अंतर्गत वास्तविक लाभार्थियों को क्लेम का भुगतान नहीं किया गया है। 5 हजार क्लेम किए गए थे, जिसमें मात्र 1500 का निबटारा हुआ। पुन: महाराष्ट्र में 4500 क्लेम में से मात्र 800 क्लेम का भुगतान किया गया। जो बीमा दावे निरस्त किए गए, उनका कोई आधार नहीं था। पांचवा, इस प्रकार से कुल 1 हजार करोड़ से ऊपर के राजस्व चोरी का अनुमान है।
यह भी:
डा. उदित राज तत्कालीन सरकार पर भी पिछड़े वर्ग के लोगों के लाभ से वंचित रखने का आरोप लगाया और कहा कि उन्होंने कहा कि मैं, 2013 से पद्मश्री श्रीमती चंदा कोचर एवं उनके द्वारा संचालित आईसीआईसीआई के खिलाफ लगातार लिखते आया हूं जिसकी शुरु आत 5 अक्टूबर 2013 में वित्त राज्यमंत्री नमोनारायण मीना को लिखे पत्र से हुई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह को भी पत्र लिखकर इस मामले से अवगत कराया गया था। इसकेअलावा इस पत्र की प्रति आईआरडीए, आरबीआई आदि को भी भेजी गयी थी। उसके बाद आईआरडीए के सदस्य आरके नायर ने अविलंब जांच के आदेश दिए एवं बाद में एक छोटी रकम का जुर्माना लगाकर इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। बाद में आरके नायर को आईसीआईसीआई ग्रुप के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर में शामिल कर लिया गया।आईसीआईसीआई बोर्ड भंग करने की मांग करते हुए डा. उतिद ने कहा कि आरोपियों को गिरफ्तार किया जाए।

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