अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी का संकट गहराया -अब एमसीडीए ने 19 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की दी चेतावनी -जंतर मंतर पर सत्याग्रह, आज कैंडिल मार्च निकालेंगे

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File Photo

भारत चौहान नई दिल्ली, उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) द्वारा संचालित अस्पतालों के डॉक्टरों के लंबित वेतन को लेकर विवाद बृह्स्पतिवार को गहरा हो गया क्योंकि स्थायी डॉक्टरों के संघ ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुई तो 19 अक्टूबर से उनके सदस्य अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। नगर निगम डॉक्टर्स एसोसिएशन (एमसीडीए) ने एक बयान जारी कर उत्तरी दिल्ली नगर निगम के तहत हिंदू राव अस्पताल और कस्तूरबा अस्पताल के अपने सहयोगी रेजिडेंट डॉक्टरों के साथ एकजुटता व्यक्त की। एमसीडीए के अध्यक्ष डा. आरआर गौतम ने कहा हम वरिष्ठ स्थायी डॉक्टरों का एक संघ हैं और हम पिछले तीन महीनों से बिना वेतन के भी काम कर इस संकट में लोगों की सेवा कर रहे हैं। लेकिन अब हमारे पास भी कोई विकल्प नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को कोविड योद्धाओं के रूप में सम्मानित किया जा रहा है, लेकिन प्रशासन हमसे भूखे पेट यह लड़ाई लड़ने की उम्मीद कर रहा है क्या। गौतम ने कहा हम हताश हो चुके हैं और हमारे परिवार की कुशलक्षेम दांव पर है। हमें अपनी तनख्वाह चाहिए और हमारी मांगों में जुलाई-सितंबर के लंबित तीन महीने का वेतन, लंबित बकाया, और पिछले कई महीनों से लंबित सेवानिवृत्त डॉक्टरों को पेंशन और सेवानिवृत्ति लाभ भी शामिल है। उन्होंने कहा कि अगर ये मांगें रविवार तक पूरी नहीं होती हैं, तो एमसीडीए डॉक्टर 19 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे।
हिंदुराव अस्पताल के डाक्टरों की हड़ताल जारी:
बीते 15 दिनों से चल रहे आंदोलन और चार माह से लंबित वेतन की मांग को लेकर हिंदुराव अस्पताल के डाक्टरों की हड़ताल 5वें दिन भी जारी रही। डा. अभिमन्यु सरदाना के अनुसार अपनी मांगों के प्रति सरकार का ध्यानाकषिर्त करने के लिए अब हम गांधीगिरी का रास्ता अख्तियार करेंगे। इसी कड़ी में 16 अक्टूबर को अपराह्न 4 बजे जंतर मंतर पर एकत्रित होंगे व 6 बजे कैंडल मार्च निकालेंगे। डाक्टरों इस कदम से इस अस्पताल की ओपीडी सेवाएं पुरी तरह से आज भी ठप रही। मरीजों के दर्द पर मरहम लगाने के लिए कोई नहीं है। अधिकांश मरीजों को दबाव इस अस्पताल में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का रहता है। कोविड सेंटर में तब्दील होने के बाद बीते चार माह से यहां वैसे ही नए अन्य बीमारों का इलाज नहीं चल रहा था, लेकिन दो दिन पहले दिल्ली सरकार ने इस अस्पताल को कोविड केंद्र की सूची से बाहर कर दिया है। मरीजों को उम्मीद थी कि उनकी मौसमी बीमारियों का इलाज अब तो यहां मिलेगा लेकिन डाक्टरों द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं का बहिष्कार करने से सुविधाएं नहीं मिल रहा है। कोरोना काल में उन्हें दूसरे अस्पतालों में भटकने के लिए विवश होना पड़ रहा है।

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