भारत चौहान नई दिल्ली, कोरोना वायरस वैक्सीन के अगले साल की शुरु आत तक लॉन्च होने की उम्मीद है। ऐसे में सरकार ने वैक्सीन की स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़ी तैयारियां तेज कर दी हैं। सरकारी और निजी ठिकाने तलाशे जा रहे हैं। कोल्ड स्टोरेज पर फोकस है क्योंकि अधिकतर वैक्सीन को एक तय तापमान पर रखना और डिस्ट्रीब्?यूट करना होता है। अगर तापमान बदला तो वैक्सीन बेअसर हो जाती है। नीति आयोग के सदस्य एवं केंद्र में कोरोना टास्क कमेटी के चेयरमैन डा. वीके पॉल की अगुवाई में बने एक्सपर्ट ग्रुप ने पहले से मौजूद कोल्ड चैन को मैप कर लिया है। और कितने की जरूरत पड़ेगी, इसका अनुमान लगाया जा रहा है। दूसरी तरफ, बृहस्पतिवार को वचरुअल प्रेस कांफ्रेंस में अपोलो हॉस्पिटल की वाइस चेयरपर्सन शोभना कमिनेनी ने कहा है कि वह एक दिन में 10 लाख कोरोना टीके लगाने को तैयार है। ग्रुप के पास 70 अस्पताल, 400 से ज्यादा क्लिनिक और 500 कॉर्पोरेट हेल्थ सेंटर्स हैं।
ईविआईएन के जरिए होगी वैक्सीन की ट्रैकिंग:
सरकार की कोशिश है कि वैक्सीन हासिल करने से लेकर उसे लोगों तक पहुंचाने तक की पूरी कवायद को रियल टाइम में ट्रैक किया जा सके। इसके लिए एक इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क (ईवीआईएन) का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह क्लाउड आधारित ऐसा सिस्टम है जो रियल टाइम में स्टॉक की पोजिशन और सप्लाई रूट की जानकारी देता है।
सबको वैक्सीन उपलब्ध कराने के हैं पर्याप्त इंतजाम:
भारत के पास सभी जिलों में करीब 27 हजार वैक्सीन स्टोरेज सेंटर्स हैं जो ईवीआईएन से जुड़े हुए हैं। लॉजिस्टिक्स मैनेज करने में कम से कम 40 हजार फ्रंटलाइन वर्कर्स लगे हैं। स्टोरेज का तापमान चेक करने के लिए कम से कम 50 हजार टेम्प्रेसर लॉगर्स हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, भारत के पास सबको कोरोना वैक्सीन मुहैया करोन की पर्याप्त क्षमता है।
अपोलो ने कहा, 1 दिन में 10 लाख टीके लगाने की क्षमता:
अपोलो हॉस्पिटल्स ने कहा है कि वह अपने नेटवर्क के जरिए एक दिन में 10 लाख टीके लगा सकता है। कंपनी ने एक बयान में कहा कि भारत की करीब 30 फीसद आबादी अपोलो फार्मेसी से बमुश्किल 30 मिनट दूर है जिससे वैक्सीन की सुरक्षित और बेहतर पहुंच की गारंटी मिलती है। उसके 10 हजार से ज्यादा कर्मचारी जरूरी ट्रेनिंग से गुजर रहे हैं और अपोलो सेंटर्स पर वैक्सीन लगाने के लिए तैनात होंगे।