ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली , बलात्कारियों को उनकी दोषसिद्धि के छह महीने के भीतर मृत्युदंड की मांग को लेकर बीते 13 दिनों से राजघाट पर अनशन कर रहीं दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल रविवार सुबह बेहोश हो गई। जिसके बाद उन्हें लोक नायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्हें जबरन ग्लूकोज चढ़ाया गया और नसों के जरिए तरल पदार्थ दिया गया। मालीवाल की तबीयत शनिवार रात खराब होने पर चिकित्सकों ने उन्हें अस्पताल जाने की सलाह दी थी लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया था। शुरू में उन्हें कैट्स एम्बुलेंस से अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में ले जाया गया। जहां पर डाक्टरों ने प्राथमिक जांच के बाद बताया कि निरंतर भूखी रहने की वजह से वह बेहोश हो गई है।
होश आते ही जिद करने लगी:
बाद में होश में आने पर मालीवाल ने चिकित्सकों को ‘इंट्रावेनस फ्लूएड्स’ नहीं चढ़ाने दिया। इसके उपरान्त उन्हें एक विशेष वार्ड में स्थानांतरित किया गया। जहां उन्हें ‘इंट्रावेनस फ्लूएड्स’ चढ़ाने की प्रक्रिया जीवन बचाने का हवाला देते हुए डाक्टर प्रारंभ किया। उनकी स्थिति स्थिर बतायी गई है। अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डा. किशोर सिंह के अनुसार इससे दो दिन पहले हुई मेडिकल जांच में स्वाति का ब्लड प्रेशर 92/70, शुगर 67, वजन 57 और पल्स 90 रेकॉर्ड किया गया था। दरअसल लगातार भूख हड़ताल पर बैठे रहने से उनका वजन 8 किलो तक कम हो गया है और बेहद कमजोर होने की वजह से चलने में फिरन में भी असमर्थ हैं। स्वाति की मांग है कि रेप के दोषियों को 6 महीने के भीतर फांसी पर लटकाया जाए।
सनद् रहे कि तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में एक महिला डॉक्टर के साथ गैंगरेप और हत्या और इसके बाद उन्नाव में गैंगरेप पीड़िता को जलाकर मार डालने की घटना के बाद से स्वाति मालिवाल अनशन कर रही हैं। उन्होंने पिछले साल भी महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर अनशन किया था। उन्होंने तब पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर अपील की थी कि रेप के मामलों में दोषियों को छह महीने के भीतर फांसी दी जाए।
निर्भया की मां ने भी की थी अनशन खत्म करने की अपील
स्वाति की बिगड़ती तबीयत को देखते हुए निर्भया की मांग ने भी उनसे अनशन तोड़ने की अपील की थी। डॉक्टरों ने भी कहा था कि अनशन की वजह से उनकी किडनी पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि मालीवाल अपनी मांगों पर अड़ी रहीं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर दिशा बिल लागू करने की मांग की थी। उन्होंने लिखा था कि महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए जब तक दिशा कानून लागू नहीं हो जाता, वह अनशन जारी रखेंगी। इस बीच मालीवाल के समर्थक अस्पताल के बाहर ही धरने पर बैठ गए। वे उनकी इस हालत के लिए निरंतर केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे थे।