दिल्ली के इस अस्पताल में धीमी रोशनी में सर्जरी करने के लिए विवश हैं सर्जन! -महीनों से ऑपरेशन थियेटर में नहीं है बड़ी लाइटें

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली ,.उत्तरी दिल्ली नगर निगम के हिंदूराव अस्पताल में धीमी रोशनी में न चाहते हुए भी डॉक्टर गंभीर मरीजों की शल्यक्रिया करने के लिए विवश हैं। अस्पताल के रिकार्ड्स में ऑपरेशन थियेटर में मोटी रकम खर्च कर बड़ी-बड़ी लाइटें हैं, लेकिन कहीं ये बंद पड़ी हैं तो कहीं ये लंबे समय से खराब हैं। डॉक्टरों की मानें तो 15 नवम्बर 2019 को यहां बड़ा शॉट सर्किट हुआ था, इसके बाद से यहां ओटी लाइट्स खराब पड़ी हैं। ज्यादा मांग करने पर उन्हें कुछ समय पहले एक टेबल लैंप जैसी सुविधा दी गई है, जिसकी रोशनी टेबल लैंप से तो ज्यादा रहती है। बीते करीब एक माह से अब तक इसका असर सर्जरी प्रक्रिया पर भी पड़ रहा है। लघु ऑपरेशन थियेटर में डाक्टर छोटे मोटे जख्म बीमारियों की सर्जरी भय और असमंजस के हालात में करने के लिए विवश हैं।
सर्जरी करने से हाथ कांपते हैं:
एक डाक्टर ने क हा कि हम दिन में किसी तरह इसलिए सर्जरी कर लेते हैं कि ओटी विंग की खिड़कियों शीशे से भी रोशनी आती है। लेकिन रात आते ही हम अक्सर गंभीर मामले को छोड़ देते हैं ऐसे मरीजों को न चाहते हुए भी दूसरे अस्पताल रेफर कर देते हैं। कई बार ज्यादा गंभीर घायल लाए जाने पर हमारे हाथ पांव सर्जरी के नाम पर फूल जाते हैं। अन्य साथियों के सीरिंज, कैंची व अन्य सर्जिकल उपकरण रोगी के शरीर में डालते वक्त कहीं मानवीय चूक न हो जाए हाथ कांपते हैं।
प्रशासन हैं संवेदनहीन:
ऑपरेशन थियेटर की लाइटें करीब 8 महीने से खराब पड़ी हैं। कई बार अस्पताल प्रबंधन से लेकर सरकार तक के संज्ञान में डाला गया है। इसके बाद भी स्थिति जस के तस बनी हुई है। हालात यह हैं कि डॉक्टरों को माइनर ओटी की लाइट्स से काम चलाना पड़ रहा है। ओटी में लाइटें खराब होने की जानकारी हास्पिटल प्रशासन को भी है। ओटी में दो तरह की लाइटें होती हैं। कम और ज्यादा दृश्यता वाली। छोटे और बड़े दोनों तरह के ऑपरेशन में अलग अलग लाइट्स का उपयोग किया जा सकता है। इनके बीच दृश्यता की तुलना करें तो बड़े ऑपरेशन में डॉक्टरों को करीब 80 फीसद तक कम दृश्यता से ऑपरेशन करना पड़ रहा है। नियमों के खिलाफ है। अस्पताल से जुड़ी हर समस्या का दोषी डॉक्टर को ठहराया जाता है। हकीकत में डॉक्टरों की परेशानी को नजरदांज किया जा रहा है। यहां सामान्यत: 20 से 25 सर्जरियां हर दिन की जाती है। लेकिन उसकी रफ्तार 5 फीसद तक ही आकर थम गई है। अस्पताल के डीएमएस डा. आएन सिंह ने कहा कि जिस कंपनी से मरम्मत का अनुबंध किया गया था। कंपनी ने वादा किया है कि अगले सप्ताह नए बल्व लगा देंगे। फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. पंकज ने कहा कि अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि दो दिन पहले ही अस्पताल में एक ट्रामा मरीज आया था, जिसका ऑपरेशन माइनर लाइट में किया गया। चूंकि मरीज के शरीर में ब्लॉकेज नसों का ऑपरेशन था, इसलिए डॉक्टरों को दृश्यता कम होने की वजह से काफी परेशानी हुई।

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