ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , नार्थ दिल्ली म्यूनिसिपल कारपोरेशन के सिविल लाइन्स स्थित बिस्तरों और सुविधाओं के कामले में इकलौते सबसे बड़े अस्पताल हिंदूराव में सोमवार से 500 से अधिक रेजिडेंट्स डाक्टर्स के बेमियादी हड़ताल पर रहने से यहां उपचाराधीन करीब 2344 मरीजों की जान सांसत में पड़ सकती है। अस्पताल के क्लीनिकल सर्जिकल यूनिट और ट्रसरी ट्रामा यूनिट से प्राप्त डाटा के अनुसार यहां पर 22 फीसद ऐसे मरीज उपचाराधीन है जिन्हें अन्यंत्र शिफ्ट नहीं किया जा सकता है। मसलन उनमें मल्टीपल इंजरीज है जबकि 12 फीसद ऐसे हैं जिनकी सर्जरियां सोमवार को पूर्व निर्धारित है। इसी तरह से स्त्री एवं प्रसूति यूनिट में 45 प्रसूताओं को लेबर पेन होने पर यहां पोस्ट ऑपरेटिव कक्ष में भर्ती किया गया है। इनकी डिलीवरी सामान्य नहीं होगी सिजेरियन डिलीवरी होने की वजह से उन्हें अन्यत्र शिफ्ट करना जोखिम भरा हो सकता है। एक वरिष्ठ सर्जन ने कहा कि प्रसूताओं का रजिस्ट्रेशन 8 माह पहले ही यहां किया गया, उनका मेडिकल स्टेट्स भी हमारे पास रहता है। इनमें से 33 फीसस ऐसी प्रसूताओं की सूची है जो एनीमिक (रक्ताल्पता, खून की कमी) के मामले हैं जबकि 23 फीसद ऐसे है बीपीएल स्तर की हैं। इनमें अन्य प्रसूताओं को इमरजेंसी अवस्था में यहां भर्ती किया गया है। रविवार को सायं 7 बजे तक हड़ताली डाक्टरों के एकाउंट में वेतन रिलीज नहीं किया गया था। यूनिट प्रमुखों को उम्मीद थी कि देर सायं तक डाक्टरों का रुका हुआ बेतन जारी कर दिया जाएगा। हड़ताल का खतरा टल जाएगा। लेकिन डाक्टरों और अन्य स्टाफ को वित्त विभाग की तरफ से कोई सुखद सूचना नहीं मिली। एक डाक्टर ने कहा कि सोमवार को पूर्व निर्धारित करीब 24 से अधिक बिग और सूक्ष्म सर्जरियां लटक सकती है। मरीज भी खौफ के साएं भी जी रहे हैं।
बढ़ेगी मरीजों की दिक्कतें:
डाक्टरों, नर्सिग स्टाफ के हड़ताल पर जाने के फैसले से यहां उपाचाराधीन मरीजों की दिक्कतें कम होती नजर नहीं आ रही है। रविवार को मेडिसिन वार्ड में उपचाराधीन मोहित ने कहा कि इसके पहले बीते तीन दिनों से डाक्टर ओपीडी के दौरान तीन घंटे की सांकेतिक हड़ताल कर रहे थे। अब वे सोमवार से बेमियादी हड़ताल पर जा रहे हैं। कोलाइन कैंसर का इलाज करा रही महीमा ने कहा कि मरीज मरे या जिए इससे न तो अस्पताल प्रशासन से लेना और न ही डाक्टरों से। खमियाजा तो मरीजों को जीवन जोखिम में डाल कर चुकाना पड़ेगा। दूसरे अस्पताल वाले यहां भर्ती अधिकांश मरीजों को लेने से इनकार करते हैं।
सबसे ज्यादा दिक्कतें प्रसूताओं को:
यहां स्त्री एवं प्रसूति वार्ड में 90 फीसद अति गरीब तबके के प्रसुताओं का दबाव रहता है। अनुमानत: हर दिन 15 से 18 डिलीवरीज होती है। इनकी हालत ऐसी नहीं रहती है कि वे किसी निजी अस्पताल में इलाज करा सके। उनकी पहुंच दूसरे अस्पतालों में जाने तक की नहीं है। इस बीच एमसीडी के स्वास्थ्य अधिकारी डा.अरूण यादव ने दावा किया कि वित्तीय मामला सबंधी समस्या का हल करने में हम विवश है। डाक्टरों की दिक्कतें जायज है, हम भी तो विवश हैं। अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डा. संगीता ने कहा कि रेजिडेट्स डाक्टर्स की संख्या करीब 500 है, उनकी जगह हम सोमवार को फैकल्टी डाक्टरों की स्वास्थ्य सेवाएं बहाल करने का प्रयास करेंगे। हालांकि इसके इतर एनडीएमसी में स्वास्थ्य सेवाओं के अतिरिक्त आयुक्त जय राम नाईक ने चेतावनी दी कि हड़ताल करना समस्या का सैल्यूशन नहीं हो सकता है, अपना विरोध करने का डाक्टर अन्य तरीके भी अपना सकते हैं। स्वास्थ्य सेवाएं बाधित करने वाले डाक्टरों के खिलाफ हम प्रशासनिक कार्रवाई करने के लिए विवश हो सकते हैं। इस बीच हिंदुराव आरडीए के अध्यक्ष डा. संजीव चौधरी ने कहा कि हम विवश हैं, बिना पैसे का हमारी दिक्कतें बढ़ती ही जा रही है। हम मजबूर है।