भारत चौहान नई दिल्ली , म्यूनिसिपल कारपोरेशन के आयुव्रेदिक पंचकर्म हास्पीटल के चिकित्सा अधीक्षक डा. आरपी पाराशर ने प्रशांत विहार स्थित परिसर में उच्च रक्तचाप नियंतण्रविषयक गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए हाइपरटेंशन का अर्थ है हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से पीड़ित होना। धमनियों में रक्त प्रवाह के तेज हो जाने की वजह से उच्च रक्तचाप यानी कि हाई ब्लड प्रेशर की समस्या जन्म लेती है। जब सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर लगातार 140 से ऊपर व डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर 100 से ऊपर रहे तो इसे हाइपरटेंशन कहा जाएगा। हाइपरटेंशन होने के मुख्य कारण हैं। गरिष्ठ व वसायुक्त भोजन का लगातार सेवन, व्यायाम का अभाव तथा तनाव, चिंता, अवसाद जैसी मानिसक स्थिति का लगातार बने रहना। हाइपरटेंशन से बचाव और इलाज के लिए जरूरी है कि हम अपने आहार विहार और जीवन शैली में उपरोक्त कारणों को मद्देनजर रखते हुए परिवर्तन करें। यह कार्यक्रम डीएवी सोसायटी फॉर हेल्थ की ओर से की गई थी।
यह भी:
डा. पाराशर ने कहा कि आयुर्वेद के मतानुसार हाई ब्लड प्रेशर दो तरह के दोषों पित्त और वात की वजह से होता है। इसलिए हाई ब्लड प्रेशर के आयुर्वेदिक इलाज में औषधियों की मदद से इन दोषों को ही संतुलित करने का प्रयास किया जाता है। सर्पगंधा, जटामांसी, शंखपुष्पी आदिआयुर्वेदिक औषधियां हाइपरटेंशन के उपचार में मदद करती है। इसके अलावा तुलसी, पुनर्नवा,गुलकंद, तगर आदि दवाएं दिमाग की शांति के लिए उपयोगी हैं। मूड सही करने तथा तनाव को दूर करने के लिए इनका इस्तेमाल किया जा सकता है।
ऐसे करें:
डा. धम्रेद्र कौशिक ने कहा कि हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए शाकाहार सबसे अच्छा उपाय है। खीरा, तरबूज, अजवाइन, करेला और लहसुन को अपनी डाइट में शामिल करें तो हाइपरटेंशन में काफी आराम मिलेगा। वनस्पति घी, मक्खन व फास्ट फूड का परहेज भी जरूरी है। कैफीन उत्पादों से परहेज करना हाई बीपी के लिए बेहद जरूरी है। भोजन में नमक की मात्रा भी कम ही लेनी चाहिए। हाइपरटेंशन से छुटकारा पाने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना बेहद जरूरी है।