साल भर में पेट के कीड़े पी गए 22 यूनिट खून! -14 साल के बच्चे को गंगाराम अस्पताल के डॉक्टरों ने बचाया

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, यह सुनने में अजीब लगेगा लेकिन यह बात सत्य है कि साल भर में 14 साल के बच्चे के पेट में पल रहे कीड़े 22 यूनिट खून पी गए। लेकिन सच है कि एक 14 वर्षीय बच्चा साल भर में करीब 50 यूनिट ब्लड चढ़ाया चा चुका है। इंडोस्कोपिक जांच से पता चला कि उसे पेट में असंख्य कीड़े हैं। इस वजह से उसे 4 फरवरी 2018 से अब तक 50 यूनिट ब्लड चढ़ाया गया। बावजूद इसके बीमारी ठीक नहीं हो रही थी। कई जगह उपचार कराने के बाद जब उत्तराखंड के हल्द्वानी निवासी बच्चा दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल पहुंचा तो यहां के डॉक्टरों ने उसकी बीमारी की गहनता से जांच की, जिसके बाद कीड़ों की स्थिति और इतनी मात्रा में रक्त की कमी होने का कारण समझ आया। इस उपचार के बाद फिलहाल बच्चा स्वस्थ्य है।
डाक्टर ने किया बैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर दावा:
सर गंगाराम अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी के चेयरमेन डॉ. अनिल अरोड़ा के अनुसार छह महीने पहले इस बच्चे को अस्पताल लाया गया था। कई जगह उपचार के बाद भी उसे लाभ नहीं मिला था। बच्चा दो वर्ष से एनीमिया का रोगी था। जब उसके बार बार ब्लड चढ़ने और दो साल में 22 लीटर रक्त का नुकसान होने की जानकारी मिलने से जांच में दिलचस्पी बढ़ गई। सामान्य एंडोस्कोपी जांच पाई गई। नई कैप्सूल इंडोस्कोपी ने इस विकृति की पहचान की।
ऐसे दिखे खून पीने वाले कीड़े:
जब कैप्सूल एंडोस्कोपी की गई तो पता चला कि छोटी आंत में कई सारे कीड़े एक तरह से घूम रहे हैं। आंतों के उस हिस्से से जुड़े अंगों का रक्त चूस रहे हैं, ये स्थिति अत्यंत गंभीर और चौकाने वाली थी। आलम यह था कि खून पी-पीकर कीड़ों का रंग भी लाल हो चुका था। जबकि ये कीड़े सफेद रंग के होते हैं। इसके बाद बच्चे का उपचार किया गया और अब उसका हीमोग्लोबिन 11 है।
क्या है कैप्सूल एंडिस्कोपी:
प्रयोग सामान्य तौर पर आंतों में कैंसर सेल्स का पता लगाने के लिए किया जाता है। छोटी आंत में किसी भी तरह की गतिविधि का पता लगाने के लिए ये सबसे बेहतर विधि है। इस कैप्सूल में एक कैमरा लगा होता है, जोकि शरीर के अंदर जाकर प्रति सेकंड दो तस्वीर लेता है। ये कैमरा 12 घंटे तक ही काम करता है और इसके बाद मल के रास्ते निकल जाता है। इस दौरान कैमरा करीब 70 हजार तस्वीरें छोटी आंत की लेता है। ये सभी तस्वीरें पेट के ऊपरी हिस्से पर बंधी बैल्ट में लगे एक रिकॉर्डर में सुरक्षित होती हैं। केस मेडिकल जर्नल ऑफ इंफे क्शन एंड थैरेपी में प्रकाशित किया गया है।

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