दिल्ली के 14 अस्पतालों की कुछ ग्लूकोज की बोतलों में फंगस

स्टॉक में रखी बोतलों की होगी जांच -अस्पतालों में संक्रमण की रोकथाम प्रबंधन कमेटी ने की जांच की सिफारिश

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , मरीजों का जीवन रक्षक मानी जाने वाली ग्लूकोज की बोतलें गुणवत्ताहीन आपूर्ति करने का मामला सामने आया है। दिल्ली सरकार के 34 अस्पतालों में से 14 अस्पताल की कुछ बोतलों में यह गड़बड़ पाई गई है। इन अस्पतालों में संक्रमण की रोकथाम प्रबंधन कमेटी की रिपोर्ट ने यह खुलासा किया। जिसमें यह आशंका जताई गई है कि एजेंसी जो भी थोक में ग्लूकोज की बोतले आपूर्ति कर रही है उसकी गुणवत्ता संतोषजनक नहीं है, कई बोतलों के डिब्बे मियादी तिथि को पूरा करने चुके हैं तो कुछ करीब हैं। इन बोतलों के उपरी हिस्से पर लिखी चेतावनी संबंधी हिदायतों तक को भलीभांति तरीके से नहीं पड़ा जा सकता है। ऐसी चूक से मरीजों की सेहत बिगड़ने की आशंका भी प्रबल है। कई अस्पतालों में तो अब मरीज ग्लुकोज चढ़वाने के लिए बाजार से फिलहाल ग्लूकोज खरीदने के लिए विवश हैं।
स्वास्थ्य विभाग एलर्ट, पूरे स्टाक की होगी जांच:
अस्पतालों में सप्लाई की गई ग्लूकोज की बोतलों के पूरे स्टॉक की स्वास्थ्य विभाग जांच कराएगा ताकि उसकी कमियों को जल्द पकड़ा जा सके और संक्रमण को रोका जा सके। स्वास्थ्य सचिव संजीव खिरवार ने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि स्वास्थ्य समिति ने सुझाव दिया है। हाल ही में अरूणा आसफ अली अस्पताल में ग्लूकोज की बोतल में फंगस पाया गया था मरीज के रिश्तेदारों ने भी इसकी शिकायत की थी। बीते कुछ दिनों में ग्लूकोज का जितना भी स्टॉक भेजा गया और जो अस्पताल में बचा हुआ है, उसकी जांच की जाएगी कि कहीं उसमें फंगस, एक्सपायरी या इसके अलावा कोई अन्य कमी तो नहीं है। डायरेक्टरेट जनरल हेल्थ सर्विसेज (डीजीएचएस) को यह जिम्मेवारी दी गई है।
गुणवत्ता पर समझौता नहीं:
डीजीएचएस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जिस बोतल में फंगस मिली थी, उसे लेबोरेटरी में जांच के लिए भेज दिया गया है। यह बोतलें सेंट्रल प्रोक्योरमेंट एजेंसी (सीपीए) की ओर से आपूर्ति करती है। कई बार अस्पताल जरूरत पड़ने पर ग्लूकोज की निजी स्तर पर भी खरीदता है। जिस बोतल में से फंगस या फिर अन्य प्रकार की कमियां पाई जाएगी, उसके जिम्मेदार अधिकारी के साथ कार्रवाई की जाएगी। यदि वह भी प्राइवेट खरीद में शामिल है तो उस कंपनी पर कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल ग्लूकोज की बोतल की जांच की जा रही है। अगर पूरे स्टॉक को बदलना पड़ा तो वह भी बदला जाएगा। पहले भी ऐसी शिकायतें मिली थी। स्थिति को सुधार लिया गया।
विशेषज्ञों की नजर में:
-हर दिन करीब 2 से 2.5 लाख बोतलों की है खपत
-जीवन रक्षक की श्रेणी में रखा गया है ग्लूकोज सिरम को
-केंद्रीयकृत एजेंसी रखती है गुणवत्ता पर नजर
-हल्की भी गड़बड़ से मरीज की जान भी जा सकती है

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