भारत चौहान नई दिल्ली , डा. राम मनोहर लोहिया एवं लेडी हार्डिग हास्पिटल के डॉक्टरों का कहना है कि वे हादसे के बाद अस्पताल पहुंचे हर शरीर में नब्ज खोज रहे थे लेकिन दुर्भाग्य से कोई भी जिंदा नहीं था। अस्पताल के डा. मनीष निगम ने बताया कि अस्पताल को हादसे के तुरंत बाद ही अलर्ट पर रख लिया था लेकिन जो भी हादसे से जुड़ा व्यक्ति आया सभी की पहले ही मौत हो चुकी थी। उन्होंने कहा कि आजतक उन्होंने अचानक इतने लोगों की मौत वाला नजारा नहीं देखा।
सायरन की आवाज:
जब मंगलवार सुबह एक के बाद एक एंबुलेंस अस्पताल पहुंचने लगीं तो उन्हें लगा कि वे शायद किसी को जिंदगी दे पाएंगे, लेकिन आपातकालीन विभाग में पहुंचने से पहले ही ये लोग मृत हो चुके थे। कुछ न कर पाने के कारण डाक्टर असमर्थ भी थे और निराश भी। डॉक्टर शिवाजी ने बताया कि ऐसी घटने दिल्ली में अब तक नहीं देखी जिसमें घायलों से ज्यादा मृत अवस्था में लोग अस्पताल पहुंच रहे थे और डॉक्टर चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहे थे।
एलर्ट कर दिया:
आरएमएल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. वीके तिवारी के अनुसार सुबह करीब साढ़े पांच बजे सभी विभागों को अलर्ट कर दिया था। पांच बजकर 50 मिनट पर लोग अस्पताल आने शुरू हो गए थे। घटना की गंभीरता को देखते हुए इमरजेंसी में करीब पांच विभाग के 30 डॉक्टर तैनात हो चुके थे, लेकिन जब एंबुलेंस का आना शुरु हुआ तो नब्ज तक नहीं मिल रही थी। आरएमएल प्रबंधन के अनुसार उनके यहां 13 लोग पहुंचे थे। सभी मृत अवस्था में थे। इन्हीं में से तीन लोग केरल निवासी परिवार के सदस्य थे। स्थिति यह है कि इनमें से दो शव बुरी तरह से जले हुए हैं। इनकी पहचान करना काफी मुश्किल हो रहा है।
ठीक ऐसा ही हाल लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज का देखने को मिला। यहां भी अलर्ट की वजह से डॉक्टर पहले से ही तैनात थे, लेकिन जब अस्पताल घायलों का आना शुरु हुआ तो चार में से दो मृत घोषित किए। जबकि अन्य दो में से एक ही हालत गंभीर है। अस्पताल के डॉक्टरो के मुताबिक उनके यहां एक म्यामांर की महिला का उपचार हो रहा है। ये महिला पर्यटक गाइड है। इनके साथ छह लोग और थे जिनमें दो की मौत हो चुकी है। चार लोग सुरक्षित बचा लिए गए थे। ये सभी लोग म्यामांर के निवासी हैं।