सफदरजंग और राम मनोहर लोहिया अस्पताल में दिवाली पर पिछले साल के मुकाबले 63 फीसद मामले अधिक -लोकनायक में 12 फीसद ज्यादा मामले

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली, राजधानी दिल्ली में दिवाली पर इस बार पटाखों और
दीयों की वजह से जलने के मामलों में पिछले साल के मुकाबले वृद्धि दर्ज की
गई है। जले हुए मामलों के प्रमुख दो अस्पतालों सफदरजंग और राम मनोहर
लोहिया अस्पताल में इस साल ऐसे मरीजों की संख्या 63 फीसद बढ़ गई। वर्धमान
महावीर मेडिकल कॉलेज (वीएमएमसी) से संबंद्ध सफदरजंग अस्पताल में पिछले
साल के मुकाबले इस साल दिवाली वाले दिन पटाखों और दीयों की वजह से जलने
वाले 70 फीसद और डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 51 फीसद अधिक मरीज आए।
सफदरजंग अस्पताल के बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी विभाग के कार्यकारी
अध्यक्ष डा. सलभ कुमार के मुताबिक पिछले साल पटाखों और दियों की वजह से
कुल 50 मरीज आए थे जबकि इस साल 7 नवंबर सुबह 9 बजे से 8 नवंबर सुबह 9 बजे
तक से कुल 85 मरीज आए। इनमें से 22 मरीजों को भर्ती किया गया जबकि 63
मरीज ओपीडी में आए। लोकनायक अस्पताल के बर्न यूनिट के अध्यक्ष डा. पीएस
भंडारी के अनुसार यहां पर बीते साल की अपेक्षा 12 फीसद मामले ज्यादा
झुलसों के दर्ज किए गए। बीते वर्ष बर्न डिपार्टमेंट में 49 रोगी पहुंचे
थे इनमें से 10 फीसद गंभीर हालत में आए थे। इस बार यह 22 फीसद दर्ज किया
गया। यानी 12 फीसद ज्यादा मामले दर्ज किया गया।
सफदरजंग में पटाखों से जलने के 85 और दीये से जलने के 32 मरीज :
डा. सलभ कुमार के अनुसार इस साल दिवाली वाले दिन जलने के कुल 104 मरीज आए
इनमें 85 मरीज पटाखों और दीयों की वजह से जलने का शिकार हुए। इन मरीजों
में पटाखों की वजह से 53 मरीज और दीयों की वजह से 32 मरीजों के जलने की
पुष्टि हुई। पटाखों और दीयों की वजह से जले मरीजों में 26 बच्चे और 59
वयस्क शामिल हैं। इन मरीजों में 55 महिलाएं और 30 पुरु ष शामिल हैं।
आरएमएल में पिछले साल के मुकाबले 51फीसद मरीज बढ़े:
इस साल डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के इमरजेंसी के बाद प्लास्टिक एंड
बर्न डिपार्टमेंट में भी दिवाली पर जलने और झुलसनें की शिकायत लेकर आए
मरीजों की संख्या 44 रही। अस्पताल के मुताबिक ये आंकड़े सात नवंबर सुबह 9
बजे से 8 नवंबर सुबह 9 बजे तक के हैं। पिछले साल दिवाली वाले दिन
अस्पताल में सिर्फ 29 मरीज सामने आए थे। इनमें आंखों की जलन की शिकायत
वाले 6 मरीज थे। इस साल जलने वाले लोगों में 10 साल से कम उम्र के तीन,
10 से 19 साल के 14 और 20 साल से अधिक उम्र के 21 मरीज शामिल हैं। इस बीच
एम्स के आरपी सेंटर के चिकित्सा अधीक्षक डा. शक्ति कुमार गुप्ता ने बताया
कि यहां पर करीब 67 मामले आई इमरजेंसी में आए। इनमें से 76 फीसद मामले
मामुली रूप से झुलसने के पाए गए थे अन्य 14 फीसद को आब्जरवेशन में चौबीस
घंटे बाद अस्पताल से छुट्ी दे दी गई जबकि 10 फीसद को आपोपी में फालोअप की
सलाह दी गई है।

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