भारत चौहान,नई दिल्ली राजधानी में बृहस्पतिवार को गोवर्धन पूजा श्रद्धा
एवं हष्राल्लास पूर्वक मनाया गया। मान्यता है कि दिवाली के अगले दिन
गोवर्धन पूजा की जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण , गोवर्धन पर्वत और गायों
की पूजा का विधान है। शक्तिपीठ, सिद्धपीठ, मंदिरों में 56 या 108 तरह के
पकवान बनाकर श्रीकृष्ण को उनका भोग लगाया। इन पकवानों को अन्नकूट कहा
जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने देव राज इन्द्र के घमंड
को चूर-चूर कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। एतिहासिक बद्रीभगत झंडेवाला
देवी मंदिर में गोवर्धन पूजा के बाद भंडारा वितरित किया गया।
मंदिर के परांगण में गोबर से गोवर्धन भगवान की भव्य प्रतिमा भक्तों के
आकषर्क का केंद्र रही। मंदिर प्रबंधन की तरफ से 34 कारीगरों की मदद से
कलाकृति बनाकर विधिवत पूजा व आरती की गई। कार्यक्रम दोपहर 12 बजे आरंभ
हुआ। पूजा समाप्ति के बाद प्रसाद वितरण में भारी संख्या में श्रद्धालुओं
ने भाग लिया। समिति के प्रवक्ता नंद किशोर सेठी ने कहा कि सुनियोजित
तरीके से 56 भोग प्रसाद वितरण कार्यक्रम में देश विदेश के श्रद्धालुओं ने
भाग लिया। भंडारा सायं चार बजे तक चला। कालका पीठ शक्तिपीठ मंदिर में
महंत सुरेंद्र नाथ अवधूत ने पूजन कराया। मंदिर के महंत परिसर में अन्नकूट
पूजा के साथ ही भंडारा वितरित किया गया। श्री आद्या कात्यायनी शकितपीठ
मंदिर, छतरपुर, श्री संतोषी माता मंदिर, हरी नगर, श्री दुर्गा मंदिर,
पोसंगी पुर मार्केट के सामने स्थित मंदिर समेत दिल्ली के विभिन्न
क्षेत्रों में स्थित मंदिरों में अन्नकूट भंडारा की धूम रही।