ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, स्वास्थ्य विभाग देश की राजधानी दिल्ली समेत विभिन्न राज्यों से सुदूर ग्रामीण इलाकों में बढ़ती आगजनी की घटनाओं को देखते हुए अब झुलसे मरीजों को तत्काल उपचार देने के लिए स्पेशल टास्क ट्रीटमेंट सेल का गठन करेगी। इसकी शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में बर्न मरीजों के लिए राष्ट्रीय चोट सर्विलांस सेंटर (एनआईएससी) शुरू किया जाएगा। इसके तहत आग से जलने वाले लोगों की पेशेंट केयर रजिस्ट्री (पीसीआर) डाटा बैंक तैयार किया जाएगा।
नए साल में योजना प्रारंभ होने की है उम्मीद:
अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पेशेंट केयर रजिस्ट्री (पीसीआर) का काम जनवरी 2019 में (नए साल के अन्तिम सप्ताह से शुरू करने की पुरी तरह से संभावना है। सेंटर स्थापित होने के बाद डाटा ऑपरेटर्स और डॉक्टरों की ट्रेनिंग चल रही है कि किस तरह से मरीजों की रजिस्ट्री करनी है। साथ ही स्टाफ की नियुक्ति भी होगी। भर्ती के बाद प्रोग्रामर्स कर्मचारियों का काम होगा कि वह बर्न पेशेंट्स की रजिस्ट्री को ऑनलाइन कई प्लैटफॉर्म पर अपलोड करें ताकि एक क्लिक में उनकी जानकारी मिल सके। फिलहाल यह सेंटर डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज (डीजी-सीजीएचएस) के अंतर्गत खोला गया है।
सुधरेगा मरीजों का जीवन:
एनआईएससी के प्रभारी डा. मनोज झा के अनुसार बर्न मरीजों की रजिस्ट्री में पूरा डाटा होगा। वह कहां रहता है उम्र, वित्तीय स्थिति आय, क्या काम करता है, परिवार के सदस्यों की संख्या आग किस कारण से लगी पहले भी कभी ऐसी घटना घटी है या नहीं सहित कई अन्य चीजें शामिल होंगी। इस सब का मकसद है कि आग लगने के कारणों पर रिसर्च की जा सके कि किन कारणों से सबसे ज्यादा आग लग रही है ताकि उसे नियंतण्रकरने में मदद मिल सके। बहुत कम देशों में बर्न मरीजों की रजिस्ट्री की सुविधा है।
तैयार है सॉफ्टवेयरए ट्रेनिंग पूरी होने का इंतजार:
इसे लेकर सॉफ्टवेयर भी तैयार कर लिया गया है। जिसमें मरीजों की रजिस्ट्री रखी जाएगी लेकिन अभी डॉटा ऑपरेटर्स और डॉक्टर्स की ट्रेनिंग पूरी न होने के चलते इसे शुरू नहीं किया जा सका है। नए साल तक ट्रेनिंग पूरा होने की उम्मीद है और उसके बाद रजिस्ट्री की सुविधा को शुरू कर दिया जाएगा।
पूरे देश का डाटा होगा आरएमएल में:
देश के किसी भी कोने पर यदि आग लगती है और घायल मरीज अस्पताल पहुंचता है तो उसकी जानकारी भी आरएमएल के सेंटर में मौजूद होगी। सभी अस्पताल सॉफ्टवेयर पर मरीज का डाटा अपलोड कर देंगे और वह सीधा हमारे पास पहुंच जाएगा। आग के छोटे से छोटे केस की जानकारी हमारे पास उपलब्ध होगी।