32 अस्पतालों में सेवानिवृत्त तृतीय, चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की पुर्ननियुक्त -सरकार के लिए गले की फास बन सकता है यह फैसला -नर्सिंग स्टाफ ने किया दिल्ली सरकार के नए फैसले को मानने से इंकार

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , दिल्ली सरकार के फैसलों और विवादों का शायद आपस में कोई रिश्ता है। क्योंकि फैसला लेते ही विवाद शुरू हो जाता है। ऐसा ही कुछ इस बार भी हो रहा है। सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सलाहकार नियुक्त करने और डिस्चार्ज होने वाले मरीजों को वार्ड से दवा देने का फैसला किया है। इसके लागू होने से पहले ही इनका विरोध शुरू हो गया है। नर्सिग यूनियन ने इसे युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड करने आरोप लगाए। सरकार के फैसले के विरोध में दिल्ली एवं एनसीआर की र्नसंिग लामबद्ध हो गए हैं।
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आदेश संख्या डीएचएस/04/10/2017/3456 जारी निर्देश के अनुसार राज्य सरकार, नगर निगम व अन्य सरकारी एवं स्वायत्त संस्थानों से सेवानिवृत्त होने वाले तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के स्वास्थ्यकर्मियों को पुन: नियुक्ति करने की प्रक्रिया शुरु की जा रही है। यह नियुक्तियां अनुबंध पर होगी। नियुक्त किए गए सेवानिवृत्त कर्मी दिल्ली सरकार अपने 32 अस्पतालों में विभिन्न कायरे को सुचारु करने के लिए तैनात करेगा। अतिरिक्त स्वास्थ्य सचिव (हास्पिटल) आरएन दास ने कहा कि इसके तहत मेडिकल/फार्मेसी/र्नसंिग के लिए अनुबंध पर सलाहकार के आवेदन मांगे गए हैं। यह नियुक्ति केवल सरकार से सेवानिवृत्त हुए लोगों के लिए ही है।
किसमें कितने पद भरे जाएंगे:
निर्देश के अनुसार इसके तहत जीडीएमओ के लिए 267, नॉन टीचिंग स्पेश्लिस्ट के लिए 257, टीचिंग स्पेश्लिस्ट 231और डेंटल के लिए पांच पद रखे गए हैं। वहीं 29 अस्पतालों में र्नसंिग सुपरिटेंडेंट के लिए चार, डिप्टी र्नसंिग सुपरिटेंडेंट के लिए छह, असिस्टेंट र्नसंिग सुपरीटेंडेंट के लिए 96, र्नसंिग सिस्टर के लिए 372 और स्टॉफ नर्स के लिए 136 पद रखे गए हैं। इसके साथ ही पारा मेडिकल के 734 पदों के लिए आवेदन मंगाए गए हैं। इसके अलावा सरकार ने यह भी तय किया था कि अस्पताल से छुट्टी हो कर जाने वाले मरीजों को वार्ड से दवा मिला करेगी। लेकिन डॉक्टर और नर्स इन फैसलों को मानने से इंकार कर रहे हैं।
यह कर रहे हैं विरोध:
दिल्ली र्नसंिग फेडरेशन के महासचिव लीलाधर रामचंदानी का कहना है कि रिटार्यड र्नसंिग ऑफिसरों को दोबारा नियुक्ति देकर युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। र्नसंिग में सलाहकार की कोई जरूरत नहीं होती। इसके साथ ही यह पैसों की बर्बादी है। इन रिटार्यड कर्मचारियों को जितने पैसे पर रखा जाएगा, उतने में चार युवाओं को मौका दिया जा सकता है। सरकार को फैसले को अविलंब वापस करने के लिए दबाव बनाने का प्रयास तेज किया जाएगा। यूनाइटेड आरडीए के चेयरमैन डा. अंकित ओम ने कहा कि इससे युवा हतोत्साहित होंगे। जो अच्छा नहीं होगा। दिल्ली में अभी करीब 15 हजार रेजिडेंट डॉक्टर हैं। तीन साल की अवधि के बाद इनके पास नौकरी नहीं होगी। ऐसे में रिटार्यड डॉक्टरों की पुन: नियुक्ति देकर इन डॉक्टरों की बची खुची उम्मीदों पर भी पानी फेरा जा रहा है।

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