ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली , भारतीय सर्जन्स का जबाव नहीं अब 24 घंटे के एक नवजात शिशु की जीवनरक्षक कार्डियक सर्जरी कर जान बचाने में कामयाबी हासिल की है। शालीमार बाग स्थित फोर्टिस हास्पिटल के बाल हृदयरोग सर्जन डा. गौरव गर्ग के अनुसार बच्चे का जन्म संकरी महाधमनी वॉल्व के साथ हुआ था और उसमें एक लीफलेट भीनहीं था जिसकी वजह से शरीर में मुक्त रक्त प्रवाह बाधित हो रहा था।
चुनौतियां:
मामला अस्पताल में तब आया जब परिवार गर्भावस्था के 34वें सप्ताह पर भ्रूण की जांच लिए आया था यानी जब महिला साढ़े आठ महीने की गर्भवती थी। जांच करने पर पता चला कि बच्चे के दिल में तीन के बजाय दो लीफलेट्स और संकीर्ण महाधमनी वॉल्व के साथ गंभीर हृदय संबंधी विकार था। डा. गौरव के अनुसार सबसे बड़ी चुनौती यह सुनिश्चित करना था कि बच्चे का जन्म बिना किसी अन्य जटिलता के हो। जन्म के बाद हमने उसे एनआईसीयू (नियोनिटल आईसीयू) में गहन निगरानी में रखा। 24 घंटों के भीतर बच्चे की हालत तेजी से बिगड़ने लगी उसे वेंटिलेटर पर रख दिया। कैथलैब में संकुचित वॉल्व को सफलतापूर्वक खोला गया। सर्जरी की पूरी प्रक्रिया करीब 2 घंटे तक चली। सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि नवजात शिशु की हृदय संबंधी संरचनाएं बेहद कोमल और छोटी होती हैं, और सर्जरी के दौरान हृदय में प्रवेश करने के लिए वैस्कुलर ऐक्सेस तक में बेहद कुशलता और सटीकता की जरूरत होती है। अब उसकी स्थिति सामान्य है ।