रेपो दर घटी, कर्ज हो सकता है सस्ता बिना गारंटी के मिलेगा 1.60 लाख रपए तक का कृषि ऋण

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भारत चौहान नई दिल्ली,छोटे और सीमांत किसानों की जरूरत को ध्यान में रखते हुए आरबीआई ने बिना गारंटी वाले कृषि ऋण की सीमा बढ़ाकर 1.60 लाख रपए कर दी। अभी किसानों को एक लाख रपए तक का कृषि ऋण ही बिना गारंटी के मिलता है। केंद्रीय बैंक ने एक आंतरिक कार्य समूह बनाने का भी निर्णय किया है जो कृषि ऋण व्यवस्था की समीक्षा करेगा और एक प्रभावी नीतिगत समाधान सुझाएगा।
द बैंक दर, सीमांत स्थायी दर 6.5 प्रतिशत रहीद नकद आरक्षित अनुपात 4 फीसद पर बरकरारद मुद्रास्फीति अनुमान घटाकर 2.8% किया गयाद जीडीपी वृद्धि बढ़कर 7.4% रहने का अनुमानद बजट प्रस्तावों से खर्च योग्य आय व मांग बढ़ेगीद बड़ी एनबीएफसी में तालमेल पर नियम बनेंगे
द मुंबई (भाषा)। मुद्रास्फीति की नरमी को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को अपनी नीतिगत ब्याज दर ‘‘रेपो’ को 0.25 प्रतिशत घटा कर 6.25 प्रतिशत कर दिया। इससे बैंकों को कर्ज का धन सस्ता पड़ेगा और वे आने वाले दिनों में मकान, वाहन तथा अन्य निजी वस्तुओं की खरीद और उद्योग धंधे के लिए कर्ज सस्ता कर सकते हैं।नए गवर्नर शक्तिकांत दास के नेतृत्व में रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीस) की पहली बैठक हुई। रिजर्व बैंक ने अपने नीतिगत दृष्टिकोण को भी नरम कर ‘‘तटस्थ‘‘ कर दिया है। अभी तक उसने मुद्रास्फीति के जोखिम के मद्देनजर इसे ‘‘ नपी-तुली कठोरता’ वाला कर रखा था। इससे संकेत मिलता है कि रिजर्व बैंक आगे चल कर रेपो दर में और कमी कर सकता है। केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति के लगातार नीचे बने रहने के मद्देनजर बाजार में कर्ज सस्ता करने वाला यह कदम उठाया है। इसके साथ ही बैंक दर और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) 6.50 प्रतिशत पर आ गई। छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की यह चालू वित्त वर्ष की छठी और अंतिम द्विमासिक समीक्षा बैठक थी। बैठक में छह में से चार सदस्यों ने रेपो दर में कमी किए जाने का समर्थन किया। मौद्रिक समिति की बैठक में डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य और सदस्य चेतन घाटे ने रेपो को 6.5 प्रतिशत पर ही बनाए रखने का पक्ष लिया। लेकिन गवर्नर दास और तीन अन्य सदस्यों ने इसमें कमी लाने के प्रस्ताव के पक्ष में सहमति जताई। आरबीआई ने 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.4% रहने का अनुमान लगाया है। रिजर्व बैंक ने वित्तीय बाजार की आवश्यकताओं को देखते हुए कुछ नियमों में संशोधन भी किए है।

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