महिला डॉक्टर की आत्महत्या का मामला -वर्चस्व की लड़ाई लड़ रही थी डाक्टर: तीन डॉक्टर के नाम किए सार्वजनिक -आरोपित डाक्टरों के खिलाफ जांच शुरू

0
835

ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली, केंद्र सरकार के डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में रेडियोलॉजी यूनिट डाक्टर के आत्महत्या मामले में नया खुलासा हुआ है। घटना के दूसरे दिन बृहस्पतिवार को अस्पताल प्रबंधन ने तीन आरोपी चिकित्सकों की पहचान सार्वजनिक कर दी। मृतक डा. पूनम वोहरा ने सुसाइड नोट में रेडियोलॉजी विभाग के एचओडी डा. अनिल तनेजा वरिष्ठ डा. यूसी गर्ग और डा. शिवानी मेहरा पर शोषण के आरोप लगाए हैं। दरअसल, बुधवार को आरएमएल के रेडियोलॉजी विभाग में तैनात 52 वर्षीय डा. पूनम वोहरा दोपहर को अस्पताल परिसर में ही स्थित अपने निवास पर पंखे से लटक आत्महत्या कर ली थी। पुलिस को मिले सुसाइड नोट में उन्होंने विभाग के तीन डाक्टरों पर प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं। घटना के वक्त घर में पति और बच्चे नहीं थे। पुलिस को दी शिकायत में पति का कहना है कि डा. वोहरा पिछले कई दिनों से परेशान चल रही थीं। उन्होंने विभागीय तनाव के बारे में कई बार अवगत कराया था।
मंत्रालय के अतिरिक्त डीजी ने दी थी सूचना:
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. वीके तिवारी के अनुसार आरोपित तीनों डॉक्टरों के नाम सुसाइड नोट में लिखे हुए हैं। बुधवार को घटना के बाद अस्पताल पहुंची पुलिस ने सुसाइड नोट प्रबंधन को दिखाया है। जिसमें मृतक डा. वोहरा ने इन डॉक्टरों पर आरोप लगाए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में अतिरिक्त डीजी डा. एके गड़पायले ने उन्हें फोन पर इस घटना की जानकारी दी थी। जिसके बाद पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल पहुंची पुलिस ने उनकी बातचीत भी हुई।

आश्चर्य में हैं डाक्टर:
सुसाइड नोट में लिखे आरोपित डाक्टरों में से एक डा. यूसी गर्ग का कहना है कि उन्हें भी नहीं समझ आ रहा कि आखिर डा. वोहरा ने उनके नाम का जिक्र क्यों किया है। जबकि वे जुलाई 2018 में ही प्रशासनिक पद छोड़ चुके थे। जब वे विभागाध्यक्ष रहे तब भी कभी डा. वोहरा ने उनसे किसी भी तरह की शिकायत नहीं की थी। वे हर तरह की जांच में पुलिस को पूरा सहयोग देने के लिए तैयार हैं। वहीं डा. अनिल तनेजा और डा. शिवानी को उनके मोबाइल और ऑफिस पर संपर्क करने का कई बार प्रयास किया गया लेकिन वे बात नहीं हो सकी।
.हमेशा मरीजों के लिए तत्पर रहती थीं:
डॉक्टरों के नाम सामने आने के चंद ही समय बाद अस्पताल के कर्मचारी भी डा. वोहरा को लेकर कई तरह की चर्चाएं कर रहे हैं। अस्पताल के एक ही कर्मचारी का कहना है कि डा. वोहरा पिछले काफी समय से अपने विभाग में वर्चस्व की लड़ाई लड़ रही थीं। वे एक सज्जन डाक्टर थी, जो मरीजों के दर्द को अपना दर्द समझती थी।
अक्सर रहता है तनाव:
आरएमएल अस्पताल के कई विभागों में सीनियर फैकल्टी का तर्क है कि डाक्टरों के बीच अक्सर तनाव की घटनाएं बाहर आती रही हैं। हालांकि ज्यादातर मामले प्रबंधन अपने या मंत्रालय के स्तर पर निपटा लेता है। लेकिन इस बार मामला आत्महत्या से जुड़ने के कारण कानूनी दायरे तक पहुंच गया है। डा. वोहरा हमेशा से ही मरीजों की सेवा के लिए तत्पर रहती थीं। कई बार जांच मशीनें खराब होने के कारण वे प्रबंधन तक को शिकायतें करती रही हैं।
रेडियोलॉजी विभाग में 10 डॉक्टर चार के बीच तनाव:
रेडियोलॉजी विभाग में 12 लोगों का स्टॉफ है। इसमें से दो सीएमओ और अन्य 10 डॉक्टर शामिल हैं। इनमें से भी सात वरिष्ठ डॉक्टर विभाग की जिम्मेदारियां संभाल रहे हैं। इन्हीं सात में से एक डा. पूनम वोहरा थीं। अब तीन वरिष्ठ डॉक्टरों पर प्रताड़ना के आरोप लगे हैं।
जांच के दिए आदेश:
उधर डा. पूनम वोहरा आत्महत्या मामले में स्वास्थ्य मंत्रालय ने घटना को गंभीरता लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। मंत्रालय में आरएमएल के प्रभारी सतीश कुमार ने अस्पताल प्रबंधन से घटना को लेकर पूरी जानकारी मांगी थी। इसके बाद उन्होंने प्रबंधन से जांच के निर्देश दिए हैं। प्रबंधन के शीर्ष अधिकारी और तीन विभागों के अध्यक्ष को मिलाकर एक जांच कमेटी भी बनाई है। ये कमेटी डा. वोहरा के अलावा अस्पताल में इस तरह की घटना दोबारा न हो इसके लिए भी अपने सुझाव प्रबंधन को सौंपेगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here