प्लास्टिक पाबंदी बेमानी: तंबाकू पाउच, बोतलबंद पानी, तरलपदाथरे की बिक्री धड़ल्ले से जारी!

एम्स, सफदरजंग, आरएमएल समेत अन्य अस्पतालों के बाहर सहजता से कानून का उल्लंघन करते देखा जा सकता है

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ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली , केंद्र सरकार की ओर से चलाई गई सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त भारत मुहिम प्रारंभ हुए सोमवार को करीब 40 दिन बीत चुके हैं। इस अति महत्वपूर्ण मुहिम की शुरूआत बीते माह 2अक्टूबर को प्रारंभ हुई थी। इसके तहत राजधानी समेत देशभर में पॉलिथीन और प्लास्टिक का इस्तेमाल पर पाबंदी लगी दी गई है। लेकिन राजधानी के विभिन्न हिस्सों में इस बंदी का इम्पेक्ट है पर फुटकर दुकानदार और विभिन्न प्रकार के तंबाकू उत्पाद बनाने वाली कंपनियों पाउच अब भी प्लास्टिक युक्त पैकेटों में ही बेच रही है। मिनरल वाटर, शीतलपेय भी प्लास्टिक की बोतलों में बेचा जा रहा है। इन पर अंकुश लगाने में फिलहाल दिल्ली सरकार की स्वायत्त संस्था दिल्ली राज्य प्रदूषण नियंतण्रसमिति व प्रशासन कानूनी कार्रवाई करने में विवश है। नतीजतन सेहत की लिहाज से अति संवेदनशील माने जाने वाले क्षेत्र मसलन एम्स, सफदरजंग, आरएमएल, लोकनायक, जीटीबी समेत अन्य अस्पतालों के बाहर पान मसाला हानिकारक पाउच में धढ़ल्ले से बेचा जा रहा है।
कन्फ्यूजन की स्थिति:
विभिन्न गुटखा कंपनियों के लिए रैपरिंग बनाने का काम करने वाले व्यापारियों ने बताया कि सिंगल यूज प्लास्टिक, माइक्रोन (थैली की मोटाई) को लेकर कन्फ्यूज है। कौन सा प्लास्टिक इस्तेमाल होगा। किस पर कार्रवाई होगी। यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है।
गांधीगिरी के जरिए प्रचार:
एसडीएमसी के पूर्व मेयर व पाषर्द नरेंद्र चावला ने कहा कि बैन या इस्तेमाल रोकने के लिए आम आदमी से सहयोग मांगा जा रहा है। निगम गांधीगीरी के जरिये आम लोगों से प्लास्टिक का इस्तेमाल न करने की अपील कर रहा है। सब जानते और मानते हैं कि प्लास्टिक हमारे लिए बेहद खतरनाक हैं। इसलिए ज्यादातर लोग सहयोग भी कर रहे हैं। दो अक्तूबर से शहर में सिंगल यूज पॉलिथीन का इस्तेमाल रोकने के लिए पांच चीजों से शुरु आत की जा रही है। उन्होंने कहा कि हर तरह का प्लास्टिक और पॉलिथीन का इस्तेमाल पूरी तरह रोका जाएगा।
सिंगल यूज प्लास्टिक:
डीपीसीसी के वरिष्ठ अधिकारी एके चावला के अनुसार सिंगल यूज प्लास्टिक वह है, जिसका प्रयोग केवल एक ही बार किया जाए। इसमें प्लास्टिक की थैलियां, प्लेट, ग्लास, चम्मच, बोतलें, स्ट्रॉ और थर्माकोल शामिल हैं। नेत्ररोग विशेषज्ञ डा. राहिल चौधरी इनका एक बार इस्तेमाल के बाद फेंक दिया जाता है। इस प्लास्टिक में पाए जाने वाले रसायन पर्यावरण के साथ ही लोगों के लिए काफी घातक हैं। चश्मे का डायल भी अब लोग स्टील का पहनना पंसद कर रहे हैं।
पांच तरह के प्लास्टिक पर है पाबंदी:
– पॉलिथीन और प्लास्टिक के कैरी बैग
– प्लास्टिक के डिस्पोजेबल प्लेट, ग्लास
– मिनरल वाटर की बोतलें
– थर्मोकोल के प्लेट, ग्लास व अन्य बर्तन
– कोल्ड ड्रिंक पीने में इस्तेमाल होने वाली स्ट्रॉ
यह विकल्प है असरदार:
– प्लास्टिक की जगह पेपर के बने स्ट्रॉ का प्रयोग।
– प्लास्टिक की पानी के बोतलों के स्थान पर कॉपर, शीशा या धातु की बोतलों का प्रयोग।
– प्लास्टिक के कप की जगह पेपर से बनी प्याली का इस्तेमाल।
– जूट या कागज से बनी थैली का प्रयोग कर सकते हैं।
– स्टील के चाकू, चम्मच का प्रयोग, लकड़ी के चम्मच।
बंद का असर: नुकसान उठा लूंगा, पर प्लास्टिक इस्तेमाल नहीं करूंगा:

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