विशेषज्ञों की चिंता बढ़ी, धुएं के चैंबर में दिल्ली वाले जिएंगे तो कैसे -एन95, ए99 मास्क ज्यादा है असरदार -89 रुयपे से 499 रुपये तक एन सीरीज की कीमत -सावधानी से ही असरदार बचाव संभव

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ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली , धुएं के चैंबर में दिल्ली वाले जिएंगे तो कैसे। आजकल यह प्रश्न राजधानी के नामचीन अस्पतालों के डाक्टरों के लिए यह यक्ष प्रश्न बन कर उभर रहा है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर ने लोगों का सांस लेना मुश्किल कर दिया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का कहना है कि दिल्ली में स्थिति एक मेडिकल इमरजेंसी के समान है। खासतौर पर इस साल, क्योंकि पिछले सालों के मुकाबले इस बार प्रदूषण का स्तर ज्यादा बढ़ा है। प्रदूषण को पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा पराली जलाने को भी माना जाता है।
खांसने पर निकलता है खूनवाला कफ:
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक एवं प्लूमनोरी, रेस्पिरेटरी यूनिट के अध्यक्ष डा. रणदीप गुलेरिया का तर्क है अब तक स्थिति नियंतण्रके बाहर है, प्रात: मार्निग वॉक करने जाना मुश्किल हो गया है, दिन में अंधेरा दिखता है, हवा में वायु के प्रदूषित पार्टिकल्स उड़ते हैं, जब व्यक्ति खांसता है तो गंदा, रक्तयुक्त थूक निकलता है। फेफड़ों को स्वच्छ हवा नहीं मिल पा रही है। सरकार को चाहिए कि कृत्रिम बारिश कराए। रात्रिकालीन में प्रमुख सड़कों के किनारे पेड़ पौधों पर पानी डालने के साथ ही अच्छी प्रकार से सफाई कराए। तभी हम कुछ हद तक स्वच्छ हवा की कल्पना कर सकते हैं। नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. संजय चौधरी के मुताबिक पिछले दो दिनों में आखों में जलन के करीब 30 फीसद मामले बढ़ चुके हैं। सीने में जलन, आंखों में तूफान सा क्यों है, इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों है..शहरयार की इन लाइनों को हम थोड़ा बदलकर आंखों में जलन, फेफड़ों में तूफान सा क्यों है कर देते हैं। दिल्ली में भयंकर प्रदूषण से सांसों पर लगी इमरजेंसी के हालात तो यही कह रहे हैं। रोकथाम के लिए हर वर्ग के लोगों को पहल करनी होगी। लंबी छुट्टी के बाद सोमवार को जब स्कूल खूले वहां विद्यार्थी और टीचर्स के जहन में भी यही सवाल था कि यह जहरीला धुआं कम सामान्य होगा। हालांकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार तक स्कूल बंद करने निर्देश जारी किए थे। जो कल ही खत्म हो चुका है। सफदरजंग अस्पताल में चेस्ट क्लीनिक के पूर्व अध्यक्ष डा. जेसी सुरी ने कहा कि पूरी दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र इस वक्त जहरीले धुंआ का चैंबर बन गया है। हर कोई यही कह रहा है कि आंखों में इतनी जलन क्यों है। राजधानीवासी रहेंगे कैसे सवाल वाजिब है, लेकिन सवाल हमें खुद से पूछना चाहिए कि आखिर ये हालात पैदा क्यों हो रहे हैं।
ये कहते हैं वैज्ञानिक:
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी (आईआईटी) के वैज्ञानिक डा. राहुल व्यास के अनुसार हम सभी दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण वाहनों और उद्योगों से निकलने वाले धुएं को समझ रहे हैं, लेकिन इसके लिए सबसे बड़ा जिम्मेदार धूल को मान रहे हैं। एक रिसर्च के अनुसार प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पीएम 10 में सबसे ज्यादा 56 फीसद योगदान सड़क की धूल का है। जबकि पीएम 2.5 में इसका हिस्सा 38 फीसद है।
प्रदूषण बढ़ने के साथ-साथ मास्क की डिमांड भी बढ़ी:
एयर प्यूरिफायर हो या अलग-अलग तरह के पॉल्यूशन मास्क, बाजार में ये खूब धड़ल्ले से बिक रहे हैं। आल इंडिया केमिस्ट एसोसिएशन के सचिव अमृत चावला के अनुसार वोगामास्क एन95 और एन 99 मास्क ज्यादा असरदार है। इसकी मांग सामान्य दिनों की अपेक्षा 40 फीसद तक बढ़ी है वहीं 10 रुपये 5 हजार तक बिकने वाले मास्क में 18 फीसद तक वृद्धि दर्ज की गई है।

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