अर्शदीप कौर,इस्लामाबाद पाकिस्तान में ईश निंदा के मामले में मौत की सजा प्राप्त इसाई महिला आसिया बीबी के परिजनों ने उम्मीद व्यक्त की है कि उसके मामले में सुप्रीम कोर्ट नरमी बरतेगा और उसे आजाद कर देगा।
आरएफई/आरएल की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2010 में आसिया बीबी वह पहली महिला थी जिसे ईश निंदा कानून के तहत मौत की सजा सुनायी गयी और इस मामले को मीडिया में जोरदार कवरेज मिली थी तथा वैिक तौर पर इसे लेकर नाराजगी दिखाई दी थी।
आठ अक्टूबर को महिला की अपील पर पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और इस दौरान महिला ने अपने पर लगे सभी आरोपों को गलत तथा आधारहीन बताया। तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने बीबी के वकील की जिरह को सुना जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी मुवक्किल पर लगाए गए सभी आरोप गलत हैं।
आरोपी बीबी चार बच्चों की मां है और एक मजदूर है और 2009 में उसके साथ काम कर रही मुस्लिम महिला ने उस पर ईश निंदा के आरोप लगाये थे। दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद कहा कि उसने इस मामले में निर्णय ले लिया है लेकिन इसकी घोषणा नहीें की है।
इस बीच पाकिस्तान में कई कट्टरपंथी इस्लामी पार्टियों ने चेतावनी दी है कि यदि आसिया बीबी की अपील पर उदारता बरती गयी तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।
लाहौर स्थित सेंटर फॉर सोशल जस्टिस के अनुसार 1987 और 2016 के बीच पाकिस्तान में ईश ¨नदा कानून के तहत 1472 लोगों पर आरोप लगाये गये हैं। मानवाधिकार समूहों ने कहा है पाकिस्तान में धार्मिक चरमपंथियों के साथ साथ आम लोगों द्वारा अपने हितों को साधने के लिए ऐसे कानूनों का जमकर दुपयोग किया जा रहा