ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली ,दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में मरीजों की लापरवाही से मौत के एक मामले में आखिरकार राष्ट्रीय मानव अधिकारी आयोग (एनएचआरसी) हरकत में आया। तीन अस्पतालों के डॉक्टरों को दोषी पाया है। नतीजन मरीज के परिवार को राहत के तौर पर 2 लाख रु पए भुगतान करने की सिफारिश की गई है। लापरवाही की वजह से 22 वर्षीय युवक की 12 जून, 2017 की रात मौत हो गई थी।
इस आशय में अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के लिए दिल्ली के स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक (डीजीएचएस ) को दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। वहीं राहत रकम की भुगतान दिल्ली सरकार को करने के लिए कहा गया है।
आयोग ने मुआवजे का भुगतान करने के लिए छह हफ्ते का समय दिया है और संबंधित विस्तृत रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं। जानकारों की मानें तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ मानवाधिकार अधिनियम, 1993 की धारा -13 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। दिल्ली सरकार को आयोग के निर्देश मिल चुके हैं। मामले की जांच डीजीएचएस ने डॉक्टरों के विशेषज्ञ पैनल से कराई थी। हेडगेवार अस्पताल, गुरु तेग बहादुर अस्पताल में और राजीव गांधी सुपर स्पेश्यिलिटी अस्पताल के डॉक्टरों को रोगी के उपचार में लावरवाह पाया गया।
ऐसे हुई कार्रवाई:
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पेशे से एक ऑटोरिक्शा चालक अंकुर 12 जून 2017 की दोपहर में छाती में दर्द और सांस लेने में दिक्कत के साथ हेडगेवार अस्पताल पहुंचा था। वहां ग्लूकाज चढ़ाकर आगे के उपचार के लिए उसे जीटीबी अस्पताल रेफर कर दिया गया था। जीटीबी अस्पताल में, मरीज को तीन घंटे के लिए आपातकालीन वार्ड में रखा गया था लेकिन उसे कोई चिकित्सा उपचार नहीं दिया गया। कुछ समय बाद मरीज कों ताहिरपुर के राजीव गांधी अस्पताल भेजा गया था। मरीज को चार घंटों तक अस्पताल में रखने के बाद परिजनों को बताया गया कि डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं। वहां से मरीज को सफदजरंग अस्पताल रेफर कर दिया गया लेकिन रास्ते में ही मरीज की मौत हो गई।