भारत चौहान देश में दूध काफी हद तक सुरक्षित है, लेकिन इसकी गुणवत्ता का मुद्दा कायम है। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की एक अंतरिम रिपोर्ट में यह कहा गया है।
एफएसएसएआई के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) पवन गोयनका ने डीडीयू मार्ग स्थित मुख्यालय में अंतरिम सव्रे जारी करते हुए कहा कि राष्ट्रीय दुग्ध गुणवत्ता सव्रे, 2018 नमूनों (6,432) से मानकों के आधार पर अब तक दूध पर सबसे बड़ा व्यवस्थित अध्ययन है। अग्रवाल ने कहा कि अध्ययन में यह सामने आया है कि इसमें से सिर्फ 10 प्रतिशत यानी 638 नमूने ही ऐसे जिनमें संदूषित पदार्थ थे, जिनकी वजह से दूध उपभोग के लिए असुरक्षित हो जाता। वहीं 90 प्रतिशत नमूने सुरक्षित पाए गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में दूध काफी हद तक ऐसी मिलावट से मुक्त है जो उसे उपभोग के लिए असुरक्षित बनाते हैं। कुल लिए गए 6,432 नमूनों में से सिर्फ 12 में ही ऐसी मिलावट पाई गई जो दूध को असुरक्षित बनाती है। उन्होंने कहा कि इस तरह की मिलावट का मिलना नमूने के आकार के हिसाब से उल्लेखनीय नहीं है। सव्रे में दूध में 13 प्रकार की मिलावट को लेकर परीक्षण किया गया। इसमें वनस्पति तेल, डिटज्रेट, ग्लूकोज, यूरिया और अमोनियम सल्फेट शामिल हैं। दूध के नमूनों की एंटीबायोटिक अवशेष, कीटनाशक अवशेष और एफ्लैटॉक्सिन एम 1 की मिलावट को लेकर भी जांच की गई। हालांकि, एसएसएसएआई के अधिकारी ने इस बात का खुलासा नहीं किया कि देश के किस हिस्से से लिए गए नमूनों में मिलावट पाई गई। अग्रवाल ने कहा कि अध्ययन के नतीजों को अंशधारकों और राज्य सरकारों के साथ साझा किया जाएगा। उसके बाद देश में दूध की गुणवत्ता में सुधार के लिए सुरक्षात्मक और सुधारात्मक उपाय किए जाएंगे। अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि कीटनाशक अवशेष को लेकरंिचता की कोई बात नहीं है। एंटीबायोटिक अवशेष को लेकर सिर्फ 1.2 प्रतिशत नमूने ही विफल हुए। इसकी वजह भी पशुओं के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाली आक्सिट्रेटासाक्लिन है। सव्रे में यह तथ्य सामने आया है कि वसा और ठोस गैर वसा (एसएनएफ) को लेकर गैर अनुपालन के सीधे दूधवाले से खरीदे दूध में अधिक पाया गया। प्रसंस्कृत दूध में इस मानदंड का गैर अनुपालन कम मिला। अग्रवाल ने कहा कि गुणवत्ता मानकों पर प्रसंस्कृत दूध में गैर अनुपालन का स्तर ऊंचा है जोंिचता की बात है। हालांकि, यह कच्चे दूध यानी दूधवालों से सीधे खरीदे गए दूध की तुलना में कम है।