लीवर अटैक: एम्स, ILBS के वैज्ञानिक तैयार कर रहे हैं पेशेंट डाटा -लक्ष्य 12 माह में दो लाख पेशेंट में होने वाली लीवर डिजीज का Early स्टेज में पता लगाना -तैयार की जाएगी नई गाइडलाइन -वि लीवर दिवस आज

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ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली , अस्वस्थ्य जीवनशैली, तनाव और खाने की चीजों एवं पानी में बढ़ती खतरनाक तत्वों की मिलावट ने पिछले कुछ वर्षो में जीवनशैली संबंधी बीमारियों को तेजी से बढ़ावा दिया है। जिनमें लीवर की बीमारियां भी शामिल है। वि स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर साल करीब 10 लाख भारतीयों में लिवर सिरोसिस की पहचान हो रही है। बढ़ते रोगियों को प्रथम चरण में पहचान करने के उदेश्य से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), गुर्दा, यकृत एवं संबंद्ध विज्ञान संस्थान (आईएलबीएस) के इन एंड आउट डोर पेशेंट डाटा तैयार कर रहे हैं। इसकी शुरुआत जनवरी 2019 में की गई, अब तक करीब 34 हजार 567 मरीजों का डाटा बैंक तैयार किया गया है। इसका लक्ष्य दो लाख से अधिक रखा गया है। जिसे वर्ष 2020 के चौथे महीनें में रिलीज किया जाएगा। इसमें प्राप्त सूचनाओं के बाद एक गाइडलाइन तैयार किया जाएगा। जिसमें यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि लीवर सिरोसिस की वजह क्या है, इसे रोकने के लिए किसी तरीके से हेल्थ एंड हाइजीन का प्रबंध प्रशासनिक स्तर पर करे, जांच के तौर तरीके कैसे हो आदि। बता दें कि हर साल 19 अप्रैल को वि लीवर दिवस मनाया जाता है।
वि लीवर दिवस की पूर्वसंध्या पर बृहस्पतिवार को इस मुद्दे पर नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रो. संदीप महाराज ने बताया कि पेशेंट डाटा तैयार होने से हम किसी भी सटीक नतीजे पर पहुंचेंगे। जिसे बाद में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और स्टेट हेल्थ डिपार्टमेंट को सुझाव भेजेंगे। इस सुझाव को बाद में गाइडलाइन के रूप में तैयार किया जाएगा। विकसित देशों में ऐसी सुविधा सालों पहले प्रारंभ हो चुकी है। आईएलबीएस के निदेशक डा. एसके सरीन के अनुसार लीवर की बीमारी भारत में मौतों की 10वीं सबसे बड़ी वजह है। दिल्ली जांच के मामले में हव बनता जा रहा है यहां देशभर के मरीजों का दबाव बढ़ रहा है। चूंकि लीवर हमारे शरीर का सबसे बड़ा अंग है और एक फैक्टरी की तरह काम करता है, जहां हम जो भी खाते हैं वो प्रोसेस होता है। यह हमारे खाने के जरिये शरीर में पहुंचने वाले ग्लूकोज, फैट, वगैरह को प्रोसेस करता है। इसलिए यह हमारे शरीर का सबसे जरूरी अंग है। जो खाने को पचाने में मदद करता है। लिवर को जिगर या यकृत भी कहते हैं।
लिवर की सेहत के बारे में कुछ जरूरी बातें :
जिंदल नेचर क्योर इंस्टीट्यूट की ज्वाइंट सीएमओ डा. बबीना एन एम ने कहा कि मोटापे और डायबिटीज जैसी लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का सबसे ज्यादा असर लीवर पर पड़ता है। इससे फैटी लीवर होने का खतरा भी बढ़ जाता है, जो लीवर के डिसफंक्शन और लीवर सिरोसिस का कारण बनता है। डायबिटीज या हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं के शिकार है तो ऐसे लोगों को सतर्क होना बेहद जरूरी है। नियंत्रित करने के लिए हर जरूरी कदम उठाएं। चीफ डायटीशिटन नैचरोपैथ सुषमा पीएम ने ने कहा कि यह बेहद जरूरी है कि लोग ऐसी जीवनशैली अपनाएं जो लिवर के लिए स्वस्थ्य हो और लिवर को खतरनाक तत्वों से मुक्त रखे।

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