कश्मीर की कली आरजू को मिलेगा एम्स में इलाज, गोचर रेयर डिजीज से है पीड़ित -इन्जाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी ही है इसका इलाज

एक इंजेक्शन की कीमत एक लाख 10 हजार रुपये के आसपास

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , विश्व की दुर्लभ और गोचर नामक जानलेवा बीमारी से जूझ रही जम्मू-कश्मीर में रहने वाली आरज (7) को अब एम्स के वैज्ञानक बचाएंगे। परिवार को उम्मीद है कि अब उनकी बेटी भी सामान्य बच्चों की तरह जीवन जी सकेगी। इस इलाज के लिए परिवार को काफी मशक्कत करनी पड़ी। तब जाकर एम्स बच्ची का इलाज करने के लिए राजी हुआ है।
जन्म से ही दर्द:
एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया के अनुसार आरजू गोचर नामक रेयर डिजीज से पीड़ित है। यह बीमारी एक लाख में एक बच्चे में पाई जाती है और इसका सालाना खर्च बेहद ज्यादा होता है। इस बीमारी से बचाने के लिए एन्जाइम रिप्लेसमेंट थैरेपी की जाती है। बच्ची के पिता मुश्ताक के अनुसार पहले वह इस बीमारी को समझ नहीं पाए थे और जम्मू-कश्मीर में ही बच्ची का इलाज करवा रहे थे लेकिन जब इस बीमारी के बारे में पता चला तो बच्ची को दिल्ली लेकर आए। यहां उन्हें कहीं इलाज नहीं मिला क्योंकि एम्स के अलावा यह इलाज कहीं उपलब्ध नहीं है और इसका खर्च भी बेहद ज्यादा है।
गोचर रोग:
गोचर एक ऐसी जन्मजात बीमारी है जिसमें मरीज का लिवर बढ़ जाता है। इसकी सभी दवाइयां विदेशों से मंगानी पड़ती हैं, यही वजह है कि अब से पहले इसके इलाज पर खर्च लाखों में आता था जिसे वहन करना हर किसी के बस की बात नहीं होती थी। लेकिन अब यह बात पुरानी हो गई है। इसकी वजह है कि हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद गोचर समेत करीब 7 हजार बीमारियों का इलाज नि:शुल्क संभव हो पाया है। इसको लेकर 25 मई 2017 को केंद्र ने कानून बनाते हुए इन बीमारियों से लड़ने के लिए 100 करोड़ का कोष तैयार किया है। इसमें मरीजों के इलाज पर होने वाला 60 फीसद खर्च केंद्र, जबकि 40 फीसद खर्च राज्य सरकार द्वारा गठित कोष देगा।
खर्चीला है इलाज:
इस बीमारी के इलाज पर होने वाला खर्च लाख से करोड़ रु पये तक है। इतने पैसे में दस हजार मलेरिया से पीड़ित मरीजों और करीब 400 एचआईवी पीड़ित मरीजों का इलाज किया जा सकता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक अभी तक पहचान किए गए रेयर डिजीज में से अमेरिका में हर एक हजार लोगों में से करीब छह लोग इनसे पीड़ित हैं, वहीं जापान में इनकी संख्या प्रति हजार पर 4 है। वि में करीब 6 से 8 हजार रोग रेयर डिजीज कैटेगरी में पहचान में आए हैं, जिनमें से करीब 450 बीमारियों से पीड़ित मरीज भारत में हैं।
लक्षण:
– लीवर का असमान होना
– प्लेटलेट्स कम होना
– दौरा आना
– यादाश्त खोना
– आंखों की रोशनी भी कम हो जाती है

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