जूनियर रेजिडेंट्स डाक्टर्स बने घायलों के लिए बने भगवान! -क्षमता से कई घंटे ज्यादा गुणवत्ता पूर्ण सेवाएं देने में जुटे

0
449

ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली ,करीब 48 घंटे तक जूझते रहने के बावजूद इन डाक्टरों के हौसले बुलंद थे। खून से लथपथ और दर्द से जूझते घायलों का जीवन बचाने में जूटे जूनियर रेजिडेंट् डा. रोहित ने कहा कि मैने अपना आफ कैंसिल कर दिया है, एमबीबीएस की पढ़ाई के बाद यहां इंटर्न कर रहे रोहित ने कहा कि मैं लोगों को यहां तड़पते नहीं देख सकता। मेरी जितनी क्षमता है उसके हिसाब से अब तक जीटीबी अस्पताल की इमरजेंसी में लाए गए 185 से अधिक मरीजों में से 62 की समरी रिपोर्ट बनाने के साथ ही उन्हें गुणवत्तापूर्ण चिकित्सीय सेवाएं दे चुका हूं। उनकी टीम में वैसे ही जीवटता और कर्त्तव्य परायणता का परिचय दे रहे 12 अन्य जूनियर रेजिडेंट्स भी बीते 48 घंटे से ड्यूटी पर तैनात है। हालांकि अस्पताल प्रशासन की तरफ से उन्हें सिर्फ 6 घंटे ही ड्यूटी करने का आदेश है लेकिन वे लोग स्वेच्छा से इस विषम परिस्थितियों में ड्यूटी दे रहे हैं।
जेआर डा. मोहित ने कहा कि डाक्टरी की पढ़ाई करते वक्त हमने यही सीखा है कि जीवन बचना हमारा कर्त्तव्य है। उसे ही हम पूरा कर रहे है। टीम में शामिल जेआर दीपक इस घटना को लेकर काफी परेशान दिखे। उसने कहा कि हिंसक घटनाओं पर अभिलंब विराम लगना चाहिए। डा. धनंजय ने कहा कि हमारे पास सीमित संसाधन है बावजूद इसके हम हर स्तर पर घायलों का जीवन बचाने लिए राउंड द क्लाक सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। यह हमारे लिए जटिल अनुभव है।
भगवान बने डाक्टर:
जीटीबी अस्पताल के अलावा जगप्रवेश चंद्र हास्पिटल और डा. हेडग्रेवार अस्पताल की इमरजेंसी में भी ऐसे डाक्टर घायलों का जीवन बचाने में रत दिखे। सामान्यत: ड्यूटी के दौरान कंधे पर लटकता स्टेथेस्कोप उनके कानों से लगा रहा। वे नब्ज टटोलने के साथ ही दर्द से कराहते घायलों को जल्द ठीक हो जाओगे भाई, का ढांढस भी दिखे। जगप्रवेश अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. आदर्श ने कहा कि जूनियर डाक्टरों के साथ ही सीनियर रेजिडेंट्स और फैकल्टी सदस्यों ने भी हर स्तर पर घायलों की जान बचाने में तत्पर रहे। दवाएं, जांच व अन्य प्रकार की चिकित्सीय सेवा देने के लिए राउंड द क्लाक औषध काउंटर खुला रहा।
बुलेट निकालना बना चुनौती:
जीटीबी अस्पताल में एक मरीज के दायीं जांघ में घुसी र्छे को निकालने में पसीने छुट गए। दरअसल, सर्जरी करने से पहले सीनियर डाक्टर ने सिटी स्कैन की सलाह दी थी, चूंकि यहां पर सिटी स्कैन मशीन खराब थी और मरीज की हालत अति गंभीर होती जा रही थी। डा. एसएन राव ने कहा कि हमने विषम परिस्थितियों में एक्सरे की धुंधली इमेज होने के बावजूद सफलता पूर्वक सर्जरी प्रक्रिया को अंजाम दिया। सर्जरी के बाद घायल के चेहरे पर खुशी देखकर हमने भी राहत की सांस ली।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here