छोटे मार्गो पर जापानी लोग एयरलाइन की जगह बुलेट ट्रेन को तरजीह देते हैं

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ज्ञान प्रकाश, जापान में छोटे मार्गो पर बुलेट ट्रेन
मुसाफिरों की पहली पसंद है और एक वरिष्ठ जापानी अधिकारी के अनुसार ऐसे
मागरें पर विमानन कंपनियों को यात्रियों के लिए मशक्कत करनी पड़ती है तथा
हाई स्पीड कॉरिडोर बनाने वाले भारत जैसे देशों को बुलेट ट्रेन से फायदा
होगा। ‘इंटरनेशनल हाई स्पीड रेल एसोसिएशन’ (आईएचआरए) के प्रमुख मसाफुमी
शुकुरी ने कहा कि हाई स्पीड नेटवर्क (बुलेट ट्रेन) बनाने वाले भारत जैसे
देशों के लिए यह मॉडल काफी लाभकारी होगा। बहरहाल, हाई स्पीड नेटवर्क के
साथ इन देशों में नगरीय योजना की भी जरूरत है। हाई स्पीड रेल नेटवर्क तभी
कामयाब हो सकता है जब उसकी विसनीयता हो। उन्होंने कहा कि किसी भी देश
में हाई स्पीड रेलवे को 300 किलोमीटर से 900 किलोमीटर तक के मार्ग पर
तरजीह दी जाती है और इसमें ट्रेन की समय की पाबंदी मायने रखती है।
भारतीय रेलवे ने मुंबई और अहमदाबाद के बीच 508 किलोमीटर लंबे हाई स्पीड
नेटवर्क के लिए भूमि अधिग्रहण शुरू कर दिया है। इस मार्ग पर 50 किलोमीटर
लंबे एक खंड के 2022 तक शुरू करने की योजना है। ‘‘रॉंिलग स्टॉक’’ के
सदस्य राजेश अग्रवाल ने ‘ कहा, ‘‘ हमने यह बात देखी है कि
हाई स्पीड कोरिडोर दिल्ली-चंडीगढ जैसे छोटे मार्गो पर लाभकारी है। हम
फिलहाल हाई स्पीड कोरिडोर के लिए स्वर्ण चतुभरुज का अध्ययन कर रहे हैं,
लेकिन निश्चित रूप से छोटे मागरें पर भी चर्चा की जा रही है। अन्य
देशों में भी यात्रियों ने छोटे मार्गो पर ही बुलेट ट्रेन को एयरलाइन की
तुलना में तरजीह दी है, क्योंकि उड़ानों की तुलना में यह कम वक्त लेती
हैं। शुकुरी ने कहा कि विमान यात्रा का मतलब है कि पहले आपको घर से
हवाई अड्डे तक जाना होता है। चेक-इन और सुरक्षा जांच के लिए अलग से समय
लगता है। इसके अलावा सामान लेने का समय अलग से लगेगा। विमान में बैठने के
बाद भले ही यात्रा में कम समय लगता हो, लेकिन इन सबमें ज्यादा वक्त लगता
है इसलिए मुसाफिर छोटे मागरें पर हाई स्पीड ट्रेन में यात्रा को तरजीह
देते हैं। ‘इंटरनेशनल हाई स्पीड रेल एसोसिएशन’ के आंकड़े बताते हैं कि
तोक्यो और नगोया के बीच 366 किलोमीटर लंबे मार्ग पर हाई स्पीड रेलवे
नेटवर्क का लगभग कब्जा है और इसकी बाजार में हिस्सेदारी 85 प्रतिशत है।
वहीं तोक्यो-हिरोशिमा के 894 किलोमीटर लंबे मार्ग पर बुलेट ट्रेन की
हिस्सेदारी 67 प्रतिशत है। इसके उलट 1175 किलोमीटर लंबे
तोक्यो-फुकुओका मार्ग पर बुलेट ट्रेन की हिस्सेदारी मात्र 10 प्रतिशत है
और एयरलाइन की हिस्सेदारी 90 फीसदी है।

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