डेंगू, मलेरिया के डंक को बेअसर करने के लिए स्वदेशी टीका जल्द -यूसीएमएस, जीटीबी हास्पिटल के वैज्ञानिक तीसरे फेज की तैयारी में -रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ ही डेंगू मच्छर के जहरीले द्रव्य को असर खत्म करने में असरदार

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ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली , डेंगू और मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारियां फैलाने वाले मच्छरों से निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने नया तरीका खोजा है। उन्होंने मादा मच्छरों में पाए जाने वाले ऐसे प्रोटीन की खोज की है जो उनके प्रजनन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस प्रोटीन को न?ष्क्रिय कर उनकी प्रजनन क्षमता को नियंत्रित किया जा सकता है। गुरुतेग बहादुर अस्पताल से संबंद्ध यूनिर्वसटिी कॉलेज ऑफ मेडिकल साईसेज (यूसीएमएस) में डिपार्टमेंट ऑफ पीडियाट्रिक्स यूनिट के शोधकर्ताओं का दावा है कि इस तरीके से मधुमक्खी जैसे अन्य उपयोगी कीटों को नुकसान पहुंचाए बिना मच्छरों की संख्या कम की जा सकती है। डेंगू टेट्रावालेंट वैक्सीन, लाइव अटेन्यूटेड (रकिंबिनेंट, लायोफीलाइज्ड) का प्रयोग दो वर्ग समूहों में क्रमश: 10 से 19 साल की बच्चों, किशोरों को और 21 से 50 साल के लोगों को। इनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए 400 से अधिक लोगों को दो समूह में चयन किया गया। दोनों को 28 दिन के अन्तराल में इंजेक्शन की डोज दी गई। इसके बाद उन्हें डेंगू के एंटीजेंट का प्रत्यारोपण किया गया। लेकिन उन पर डेंगू के डंक से निकलने वाले द्रव्य का असर नहीं हुआ।
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शोध के प्रिंसिपल इंवेस्टीगेटर एवं जीटीबी अस्पताल में पीडियाट्रिक्स यूनिट के डा. मनीष नारंग के अनुसार विशलेषणात्मक अध्ययन के सकारात्मक परिणाम मिल हैं। ओपीडी, इमरजेंसी, डेंगू फीवर यूनिट के आधार पर किए गए शोध के पहले फेज में कुछ मरीजों को जरूर हेमरेजिक फीवर के लक्षण पाए गए थे लेकिन दूसरे फेज के शोध में किसी भी मरीज में निगेटिव दुष्प्रभावी लक्षण नहीं पाए गए। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), डिपार्टमेंट ऑफ बायो टेक्नालॉजी विभाग की मदद यह शोध किया गया। जल्द ही इसे तीसरे और अन्तिम फेज की शुरुआत की जाएगी।
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वि स्वास्थ्य संगठन ने मच्छरों को दुनिया का सबसे खतरनाक कीट बताया है। 2016 में दुनियाभर में मलेरिया से 21.6 लाख लोग संक्रमित हुए जिनमें से चार लाख 45 हजार की मौत हो गई थी। ऐसे में यह खोज लाभभारी होगी। हर वर्ष डेंगू, मलेरिया से मरने वालों की संख्या में कमी आएगी। उम्मीद जताई गई है कि इस खोज से मलेरिया, डेंगू, जीका और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों की सक्रियता से होने वाली मृत्युदर और बीमारी के दुष्प्रभावों की सक्रियता को खत्म किया जा सकेगा।‘वर्तमान में मौजूद दवाओं के प्रति मच्छर अपनी प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर चुके हैं। ऐसे में उनके प्रजनन को नियंत्रित करना ही बेहतर विकल्प है। मादा मच्छर में मौजूद प्रोटीन को निष्क्रिय करने से उनके अंडे नष्ट हो जाते हैं।

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