देशी दवाओं की खरीद फरोख्त में साल दर साल गडबडझाला ! -नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने 2016-17 वाषिर्क रिपोर्ट में कार्यपण्राली पर उठाये कई सवाल की तलख टिप्पणी -बजट बढ़ता गया स्वास्थ्य सेवाएं, मरीजों की सुविधाएं घटती गई -आयुष नहीं सुधरा तो कैसे सुधरेगी की दिल्ली वालों की सेहत

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, स्वास्थ्य सेवाओं में विशेषकर भारतीय चिकित्सा पद्धति- आयुव्रेद, योग तथा नेचुरोपैथी, यूनानी, सिद्धा तथा होम्योपैथी (आईएसएम-आयुष) के तहत दिल्ली सरकार अपनी छवि सुधारने में नाकाम रहा। यह नाकामी बीते छह वर्षो के दौरान 2012-2017 के तहत यथावथ रही। ताज्जुब यह है कि हर साल स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करने की उद्देश्य से वित्त विभाग ने वाषिर्क वित्तीय बजट में बढ़ोतरी की। बावजूद इसके मरीजों को सहजता से स्वास्थ्य सेवाएं, दवाएं आदि नहीं मिल सकी। यह खुलासा नियंत्रक-महालेखापीरक्षक ने वर्ष 2016-17 में जारी रिपोर्ट में किया है।
रकम बढ़ी, सुविधाएं घटी:
आयुष की कार्यपण्राली पर यदि फौरी नजर डाली जाए तो स्थिति स्पष्ट हो जाती है। दिल्ली सरकार का कुल व्यय 2012-17 के दौरान रुपये (Rs) 28, 570.81 करोड़ से 24.63 फीसद बढ़कर Rs 35, 608.74 करोड़ हो गया जबकि राजस्व व्यय 2012-13 में Rs20, 659.35 करोड़ से 41.83 फीसद बढ़कर 2016-17 में Rs 29, 301.92 करोड़ हो गया। 2012-16 की अवधि के दौरान गैर योजनागत राजस्व व्यय -14, 160.64 करोड़ से 45.37 फीसद बढ़कर Rs 20,585.33 करोड़ हो गया तथा पूंजीगत व्यय Rs 4, 176.63 करोड़ से बढ़कर Rs 4, 723.47 करोड़ हो गया, जो 2016-17 के दौरान घटकर Rs 3, 754.30 करोड़ हो गया।
नियमों की अनदेखी, निर्देश लागू करने में लेटलतीफी:
आयुव्रेद, योग तथा नेचुरोपैथी, यूनानी, सिद्धा तथा होम्योपैथी (आयुष) निदेशालय के तहत आने वाले 24 औषधालयों तथा तीन अस्पतालों की लेखा परीक्षा चिकित्सा की भारतीय पण्राली में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने में कंचुवा गति से काम किया। अस्पतालों से संबद्ध तीन मेडिकल कॉलेजों, तिब्बिया कॉलेज, डा. बीआर सुर होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज अस्पताल तथा अनुसंधान केंद्र तथा चौधरी ब्रह्म प्रकाश आयुव्रेदिक चरक संस्थान में डाक्टर फार्मासिस्ट तथा नर्स कैडर में 37 से 52 फीसद के मध्य कमी पाई गई। वर्ष 2012-17 के दौरान आयुष औषधालयों में चिकित्सीय स्टॉफ की पर्याप्त कमी रही। स्वीकृत 163 डाक्टर तथा 155 फार्मासिस्ट पदों की तुलना में, डाक्टर के 28 पद तथा फार्मासिस्ट के 61 पद मार्च 2017 तक रिक्त थे। इसी तरह से 103 होम्योपैथिक औषधालयों में से सिर्फ 24 में उचित रोगी देखभाल को सुनिश्चित करने के लिए ही कर्मचारी मुश्किल से पाए गए। तीन कमरों की आवश्यकता की तुलना में 16 आयुव्रेदिक औषधालय दो कमरों में तथा पांच एक कमरे में चल रहे थे। आयुष अस्पतालों तथा औषधालयों में उपकरण तथा अन्य सामान्य सुविधाएं जैसेकि औषधि भंडारण, आपातकालीन सेवाएं, अनिवार्य नैदानक उपकरण, ऑपरेशन थियेटर, एम्बुलेंस तथा मेडिकल रिकार्ड विभाग में जरूरी उपकरण अपर्याप्त थे।


निर्माण में देरी:
डा. बीआर सुर होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज अस्पताल तथा अनुसंधान केंद्र में अवसंरचना के निर्माण में देरी के परिणामस्वरूप एसएएमसी में विद्यार्थियों के प्रवेश में 27 फीसद ओबीसी आरक्षण पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को लागू करने में विलंब हुआ। इसी तरह चौ. ब्रह्म प्रकाश आयुव्रेदिक चरक संस्थान के अतिरिक्त अन्य किसी भी आयुष अस्पताल में अपर्याप्त जगह के कारण योगा तथा नैचुरोपैथी सुविधाएं नहीं थीं। ताज्जुब यह है कि आयुष निदेशालय, की वेबसाइट योगा तथा नैचुरोपैथी को उपलब्ध सेवाओं के रूप में दर्शा रही थी। 43 फीसद अति आवश्यक दवाइयां कभी भी मरीजों को नहीं मिली। यह तब रहा जब 2012-17 के दौरान आयुव्रेदिक तथा यूनानी दवाइयां 25 से 58 फीसद की घटी हुई सेल्फ लाइफ के साथ खरीदी गई। होम्योपैथिक दवाईयों की गुणवत्ता नियंतण्रपण्राली जिसमें दवाइयों के बैच-वार तथा सब बैचवार जांच का प्रावधान था, के विपरित आयुव्रेदिक तथा यूनानी दवाईयों में स्वैच्छिक आधार पर दवाईयों की जांच की गई।
विभागीय खरीद नीति के उल्लंघन:
वर्ष 2012-17 के तहत तिबिया कालेज तथा सीबीपीएसीएस ने क्लासिकल आयुव्रेदिक तता यूनानी दवाईयां (Rs32.87 करोड़) आईएमपीसीएल से नहीं खरीदी गई तथा पेटेंट/प्रोप्राइटरी दवाईयां (Rs14.19 करोड़) खुली निविदा से नहीं खरीदी।
गुणवत्ताहीन दवाएं:
दवाईयों की गुणवत्ता पर आासन प्रदान के लिए दवाईयों के उत्पादन तथा विक्रय यूनिटी का निरीक्षण अपर्याप्त था। औषधि नियंत्रक ने होम्योपैथिक, आयुव्रेदिक तथा यूनानी उत्पादन इकाइयों के संदर्भ में क्रमश: 31, 424 तथा 180 के अनिवार्य निरीक्षण की तुलना में 8, 267 तथा 149 निरीक्षण किए।

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