आईएमए ने एनएमसी बिधेयक के विरोध में शनिवार को धिक्कार दिवस मनाया -एमएनसी विधेयक के खिलाफ आईएमए का राश्ट्रव्यापी आंदोलन सफल रहा

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली , एलोपैथ डाक्टरों के शीषर्स्थ संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के कॉल फोर एक्शन के आह्वान पर शनिवार को देशभर के डाक्टरों ने अपनी एकता का परिचय दिया और दावा किया कि अभियान शतप्रतिशत सफल रहा। आईएमए ने दावा किया कि इमरजेंसी चिकित्सा सेवाओं को छोड़कर बाकी सभी चिकित्सा सेवाएं (गैर आपाकालीन सेवाएं) बंद रखी जिसके कारण देश के लगभग सभी प्रमुख राज्यों में विशेष रूप से टियर 2, 3, 4 शहरों और कस्बों में गैर-आपातकालीन रही जिसके कारण मरीजों की चिकित्सा सेवा प्रभावित हुई।
आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. रवि वानखेडकर ने सरकार के एमएनसी विधेयक खिलाफ अपने संघर्ष में शानदार नैतिक विजय का दावा किया। एनएमसी विधेयक के खिलाफ आईएमए के आह्वान ने चिकित्सकों में जागरु कता और आम लोगों में समझ पैदा की है। कई साधारण लोगों ने खुद ही उस कारण की पहचान की जिसके लिए डॉक्टर लड़ रहे थे। डा. वानखेडकर ने घोषणा की कि संघर्ष जारी रहेगा। दरअसल आईएमए की ओर से गैर आपातकालीन सेवाओं को बंद रखने का यह सरकार के लिए केवल एक चेतावनी संकेत था। यदि सरकार जन विरोधी और अमीरों के हितों को साधने वाले गैर लोकतांत्रिक एवं गैर संघीय एनएमसी विधेयक को लागू करेगी तो आईएमए अपने आंदोलन को तेज करने के लिए मजबूर होगा। हम चाहते हैं कि सरकार मौजूदा विधेयक पर पुनर्विचार करे। हम समाज के हाशिए के और वंचित वगरे के हितों की रक्षा के लिए हमारे सम्मानित प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने की अपील करते हैं।
सरकारी डाक्टरों ने काला बैज बांधा:
एनएमसी विधेयक के विरोध में लोकनायक, एम्स, सफदरजंग, आरएमएल समेत अन्य अस्पतालाोंके डाक्टरों ने बाजू पर काला बैज बांधकर विरोध प्रदर्शन किया।
विरोध क्यों:
निजी मेडिकल कॉलेजों में 50 प्रतिशत सीटें सबसे ज्यादा बोली लगाने वालों के लिए होती हैं। उन्होंने दोहराया कि आईएमए का मुद्दा आम आदमी का मुद्दा है। इसके लिए समाज में जागरूकता कायम किए जाने की आवश्यकता है। इस विधेयक के लागू होने के बाद देश में चिकित्सा शिक्षा का खर्च कई गुना बढ़ जाएगा, और यहां तक कि ऊपरी मध्यम वर्ग के लोग के लिए भी इस खर्च को वहन करना असंभव हो जाएगा। उत्तराखंड और महाराष्ट्र में ऐसे मामले देखे जा चुके हैं जहां प्रबंधन ने एमबीबीएस के लिए प्रति वर्ष 25 लाख रु पये का शुल्क बढ़ा दिया।
मुश्किलें बढ़ेगी:
एक्शन कमेटी के चेयरमैन डा. ए. मार्थद पिल्लई ने कहा कि एनएमसी एक विस्तारित सरकारी विभाग के रूप में कार्य करेगा। विनियमन की स्वायत्ता चिकित्सा पेशे का अधिकार है। ब्यूरोक्रेट और गैर चिकित्सकीय लोगों को चिकित्सा शिक्षा के नियम की धज्जियां उड़ाने और प्रैक्टिस करने की अनुमति देना एक दु:स्वप्न है।

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