गरीबों को मुफ्त चिकित्सीय सेवाएं देने में न्यायालय के आदेशों की अनदेखी! -हाईकोर्ट में इंस्पेक्शन कमेटी के सदस्य ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र

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ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली, गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले मरीजों को निजी अस्पताल इलाज देने में अब भी न नुकर करने से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसी ही एक मामला सामने आया है। उत्तरी दिल्ली के सेंट स्टीफन अस्पताल पर सुप्रीम कोर्ट के अवज्ञा का आरोप लगा है। हाई कोर्ट के इंस्पेक्शन कमेटी के सदस्य अशोक अग्रवाल ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर शिकायत की है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी अस्पताल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मरीजों को नि:शुल्क चिकित्सा नहीं दे रहा है। अग्रवाल ने पत्र में अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।
क्या है मामला:
अशोक अग्रवाल ने मुख्य सचिव को ब्रह्मपुरी निवासी किरण, सितांशो और मौजपुर निवासी जाएदा बेगम, शबनम और नवाब मियां नाम के पांच मरीजों को हवाला देते हुए बताया है कि इन सभी के पास फूड सिक्योरिटी कार्ड है। ये सभी शनिवार को अस्पताल में इलाज के लिए गए थे। वहां ये अस्पताल के अधिकारियों से मिले और अपना फूड सिक्योरिटी कार्ड भी दिखाया, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने साफ तौर पर नि:शुल्क इलाज देने से इंकार कर दिया।
न्यायालय के आदेश की अनदेखी:
अग्रवाल का कहना है कि ईडब्ल्यूएस वर्ग के मरीजों को नि:शुल्क इलाज देने के मामले में बीते महीने ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया था कि अगर अस्पताल के लिए सरकार से सस्ती दर पर जमीन ली गई है तो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मरीजों को तय सीमा में नि:शुल्क इलाज देना ही होगा। लेकिन इन मरीजों को इंकार कर अस्पताल न सिर्फ इनका हक छीन रहा है बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंधन भी कर रहा है। उन्होंने मुख्य सचिव से मांग की है कि वह इन मरीजों को इनका हक दिलाएं और कोर्ट की अवज्ञा करने वाले अस्पताल के खिलाफ जरूरी कार्रवाई करें। इस बाबत अस्पताल से प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है। इस मामले में दिल्ली सरकार की तरफ से फिलहाल स्वास्थ्य विभाग सचिव स्वास्थ्य संजीव खिरवाल ने कहा कि ऐसी शिकायतों को गंभीरता से अम्ल में लाया जाएगा। समस्या पैदा करने वाले अस्पतालों के खिलाफ नियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।

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