स्वास्थ्य सचिव ने राज्यों से मरीजों के अधिकारों संबंधी सिफारिशों के पालन की अपील की

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ज्ञान प्रकाश नयी दिल्ली, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने सभी राज्यों से मरीजों के अधिकारों पर राष्ट्रीय नैदानिक संस्थान परिषद की अनुशंसाओं का पालन करने की अपील की है। इनमें यह सुनिश्चित किया गया है कि मरीजों को दूसरी राय लेने का अधिकार है, अपनी बीमारी को लेकर पर्याप्त सूचना हो और व्यक्ति की सहमति हो। इन अधिकारों के तहत अस्पताल किसी भी कारण से मरीज का शव देने से इनकार नहीं कर सकते। राष्ट्रीय नैदानिक संस्थान परिषद ने कहा कि एक मरीज एवं उसके प्रतिनिधियों को बीमारी की प्रकृति, कारण, प्रस्तावित जांच एवं देखभाल, इलाज के संभावित परिणाम, जटिलताओं की आशंका और अनुमानित खर्च के संबंध में पर्याप्त जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है। यह शीर्ष वैधानिक निकाय है जिसमें सभी पक्ष के प्रतिनिधि शामिल हैं। राष्ट्रीय परिषद की सिफारिशें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा मरीजों के अधिकार पर तैयार किए गए अधिकार-पत्र के मसौदे पर आधारित है। एनएचआरसी ने यह अधिकार-पत्र (चार्टर) स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपा जिसे उसे सितंबर 2018 में सार्वजनिक कर जनता एवं हितधारकों से सुझाव एवं टिप्पणियां आमंत्रित करनी थी। अवर स्वास्थ्य सचिव प्रीति सुदन ने कहा कि उन्हें देश भर के चिकित्सीय संस्थानों से कदाचार की शिकायतें मिलीं जिसके बाद राष्ट्रीय नैदानिक प्रतिष्ठान परिषद की 11वीं बैठक में अधिकार-पत्र के मसौदे पर चर्चा की गई। सुदन ने अपने पत्र में कहा कि राष्ट्रीय परिषद ने मरीजों एवं चिकित्सीय प्रतिष्ठानों के लिए ‘‘क्या करें’’ और ‘‘क्या न करें’’ की सूची की सिफारिश की है ताकि मरीजों की मौलिक शिकायतों एवंंिचताओं को दूर किया जाएगा जबकि नैदानिक प्रतिष्ठानों का वातावरण भी सौहार्दपूर्ण बना रहे।

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