ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने साल भर कई सकारात्मक योजनाएं शुरू कर आम हो या खास मरीजों को आकषिर्त किया। जहां इस वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अति महात्वाकांक्षी योजनाओं में से एक व्यापक स्तर पर लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए आयुष्मान भारत योजना की शुरूआत तथा 21 वर्ष के अंतराल पर एमबीबीएस पाठ्यक्रम में बदलाव को इस वर्ष स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए उपलब्धि के तौर पर देखा जा सकता है। हालांकि दूषित पोलियो खुराक तथा जॉनसन एंड जॉनसन के खराब हिप इम्प्लांट जैसी घटनाओं से मंत्रालय की काफी किरकिरी हुई। स्वास्थ्य मंत्रालय ने दागदार भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) के पुनर्गठन की प्रक्रिया शूरू की, साथ ही नियामक इकाई को चलाने के लिए बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का गठन किया। मंत्रालय ने चिकित्सा शिक्षा में भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए निकाय को बदलने संबंधी राष्ट्रीय मेडिकल आयोग (एनएमसी) विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने का इंतजार किए बिना यह कदम उठाया। भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने इसी महीने एमबीबीएस के लिए नया पाठ्यक्रम तैयार किया है जिसे शिक्षण सत्र 2019-20 से लागू किया जाएगा। भारत में सरोगेसी पर निगरानी रखने के लिए लोकसभा में सरोगेसी विधेयक पारित हुआ जिसे स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। मंत्रालय ने देश में वहनीय स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आयुष्मान भारत कार्यक्रम की शुरूआत की। इसके दो चरण है। पहला चरण आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना है जिसका मकसद 10 करोड़ गरीब और जरूरतमंद परिवारों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करना है। यह योजना 23 सितंबर को शुरू हुई थी और अभी तक देश भर के छह लाख से अधिक लोग इस योजना के तहत उपचार करा चुके हैं। इस कार्यक्रम के दूसरे चरण में कम से कम 1.5 लाख उप केन्द्रों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को 2022 तक स्वास्थ्य एवं वेलनेस केंद्रों में बदला जाएगा।
इसने सताया, तुरंत की कार्रवाई:
इन उपलब्धियों के बावजूद कुछ राज्यों में निपाह और जीका संक्रमण फैला जिसने स्वास्थ्य मंत्रालय को मुश्किल में डाल दिया। इसके अलावा महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई गई जिसमें टाइप-2 पोलियो का विषाणु पाया गया। मामला सामने आने के बाद मंत्रालय ने एक खास दवा निर्माता की दवाएं तत्काल वापस ले ली तथा स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कदम भी उठाए। जॉनसन एंड जॉनसन के खराब हिप इम्प्लांट मामले में भी मंत्रालय की किरकिरी हुई। लंबे समय बाद सरकार ने आशा कार्यकर्ताओं के विजिट चार्ज (यूजर शुल्क) को 250 रूपए से बढ़ा कर 300 रुपए करने की घोषणा की। इस कदम से उन्हें हर महीने पांच हजार रुपये के स्थान पर करीब छह हजार रुपये मिल सकेंगे।
अंग प्रत्यारोपण को मिली गति:
एम्स, सफदरजंग, आरएमएल जैसे सरकारी अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपण पक्रिया को गति मिली। नोटो ने भी व्यापक रूप में ब्रेन डेड व्यक्तियों के परिजनों को उनके जिंदा अंगों को दान करने के लिए प्रेरित किया।