हेल्थ-सालाना लेखा जोखा-2019 पेशेंट प्रैशर आउट ऑफ कंट्रोल, जरूरत है मेडिकल सर्विसेज के दोगुना विस्तार की -कछुए की रफ्तार से बढ़ रही है अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवाएं

खुब हुए अंग प्रत्यारोपण, विदेशी मुल्क के रोगियों यहां इलाज के प्रति बढ़ा आकषर्ण -एम्स जेपीएन सेंटर में भीषण अग्निकांड दु:खदायी, वहीं मोहल्ला क्लीनिक से मरीजों को मिली राहत -आयुष्मान भारत योजना में दिल्ली सरकार शामिल होने से काटी कन्नी

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , हेल्थ सर्विसेज के लिहाज वर्ष 2019 कई दिक्कतों से जूझता रहा तो कई नई सेवाओं की शुरुआत से मरीजों ने राहत की सांस ली। लेकिन अस्पतालों में बढ़ते मरीजों की दबाव से जिन स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया गया वह नाकाफी रही। एम्स में कैशलेस, यूजर्स शुल्क के लिए स्मार्ट कार्ड की सेवाएं भी शुरु की गई। आनलाइन पेशेंट रजिट्रेशन से रोगियों की दिक्कतें कुछ जरूरत आसान हुई।
वर्ष 2019 में रोगी बढ़े सेवाएं घटी:
दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार, छावनी परिषद, नगर निगम के तीनों जोन के अस्पतालों में 2200 नये बिस्तर जोड़े गए। सफदरजंग, लोकनायक अस्पताल के आईसीयू में 67 वेंटीलेटर की सुविधा शुरू की गई। 97 डायलेसिस मशीने भी लगाई गई। लेकिन स्वास्थ्य विभाग के एमआरडी रिकार्ड के अनुसार वर्ष 2018 में कुल 65, 20,341 इनडोर, आउटडोर मरीजों की जांच की गई। जो वर्ष 2017-2018, की अपेक्षा इस साल यानी 2019 में 20 फीसद ज्यादा दर्ज किया गया है।
अंगदान में हर वर्ग ने ली दिलचस्पी:
अंगदान करने के लिए एम्स के ओरबो सेंटर और सफदरजंग अस्पताल के नोटो केंद्र में 2 लाख 56 हजार 302 लोगों ने अंगदान के लिए पंजीकरण कराया जो एक रिकार्ड है। वर्ष 2018 में यह संख्या 1 लाख 67 हजार दर्ज की गई थी। ब्रेनडेड के बाद उनके रिश्तेदारों ने एम्स व अन्य अस्पतालों की सहायता से करीब 898 लोगों ने अंगदान किया जिससे अनुमानत: 2202 लोगों की जान बचाई गई। अंगदान में दो गुर्दे, एक जिगर, दो कार्निया, टिश्यू, हृदय वाल्व, स्किन, एम्ब्रियों, बोन मैरो सेल्स जैसे अहम् अंग शामिल थे। एम्स में डीएनए जांच के के प्रति लोगों ने दिलचस्पी ली। यही नहीं जुडवा बच्चियों को अलग कर भारतीय डॉक्टरों ने अपनी काबलियत की ओर वि के सर्जन्स का ध्यानाकषिर्त किया। वहीं, इस वर्ष स्वास्थ्य क्षेत्र गंदे कारनामें भी सुर्खियों में रहे। इसके तहत प्रसव पूर्व लिंगीय जांच के आरोप में 17 इमेजिंग एवं अल्ट्रासाउंड सेंटरों को सील किया गया। ईएसआईसी ने 100 सीटों वाला पहला मेडिकल कॉलेज रोहणी में खोला। तो वहीं दिल्ली सरकार ने बुराड़ी में एक हजार बिस्तरों संख्या वाले अस्पताल के निर्माण की शुरुआत की। लेकिन यह तय समय सीमा के तहत नहीं बन सका।
यह मुद्दे रहे सुर्खियों में:
दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) ने 109 नकली डॉक्टरों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया। रोगी से इलाज के दौरान छेड़छाड़ करने तीन डाक्टरों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी। मौलाना आजाद दंत विज्ञान संस्थान (मेड्स), अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) में रोगियों के उपचार व नैदानिक सेवाओं की कीमों में 300 फीसद तक बढ़ोतरी करने से रोगियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। यही नहीं, डॉक्टरों, नसरे की कमी हर दिन रोगियों को परेशान करती रही। दिल्ली सरकार के राजीव गांधी सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल, ताहिरपुर, जनकपुरी सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल, दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान, जनकपुरी, डीडीयू ट्रामा सेंटर अप्र्याप्त डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ की वजह से रोगियों के लिए पुरी तरह से इस्तेमाल नहीं किया जा सका। करोड़ों रुपये की लागत से बने राजीव गांधी सुपरस्पेशिलिटी और जनकपुरी सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल को निजीकरण के लिए अप्रैल, जुलाई एवं नवम्बर में तीन बार निविदाएं जारी की गई। लेकिन किसी भी कारपोरेट सेक्टर ने इनका परिचालन करने में दिलचस्पी नहीं दिखाई।
आत्महत्या करने से भी पीछे नहीं रहे:
दिल्ली सरकार के 39 अस्पतालों में तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों ने अपनी मांग के समर्थन में 24 से अधिक बार धरना प्रदर्शन और आंशिक हड़ताल पर रहे। यहीं नहीं ड्यूटी पर कथित लापरवाही के आरोप में इस वर्ष 109 बार डाक्टरों और रोगियों के मध्य जुतम पैजार की नौबत आई। कैट्स के बेड़े में 59 नई एम्बुलूेंस शामिल हुई। डेंगू ने इस साल कहर बरपाया। इस बार स्वाइन फ्लू, डेंगू और चिकनगुनिया की स्थिति नियंतण्रमें रही लेकिन मलेरिया ने स्वास्थ्य मंत्रालय की निंद उडाई।
विदेशी रोगियों का क्रेज बढ़ा:
स्वास्थ्य विभाग का अनुमान है किपौने दो लाख से अधिक विदेशी रोगियों ने राजधानी के विभिन्न निजी अस्पतालों में इलाज कराया। इसमें ब्रिटेन, अमरीका, नाइजीरिया, यूक्रेन, यूगांडा, पाकिस्तान, नेपाल समेत यूएई देशों के रोगियों का दबाव रहा। दरअसल, यहां पर सुविधाएं अन्तरराष्ट्रीय स्तर की है और अन्य मुल्कों की अपेक्षा सस्ती और सहजता से मिल रही है।
अन्य पद्धतियों से भी इलाज:
आयुव्रेद, होम्योपैथ, सिद्धा, पंचकर्म, यूनानी जैसी भारतीय पद्धतियों के प्रति लोगों को रूझान देखा गया। इन पद्धतियों उपचार लेने के लिए विदेशी मूल्क के रोगियों का रुझान देखा गया। इसके लिए बकायदा पर्यटन कंपनियों ने इसे पैकेज में भी शमिल किया।
मोहल्ला क्लीनिक और कैशलेस से मिली राहत:
इस वर्ष दिल्ली सरकार ने मोहल्ला क्लीनिक केंद्रों की संख्या में बीत वर्ष की अपेक्षा 22 फीसद बढ़ोतरी की। मोटर साइकिल आपात सेवाएं, सरकारी अस्पताल में सर्जरी की डेट लंबी मिलने की सूरत में निजी अस्पतालों में सर्जरी कराने व इमेजिंग की सुविधा से मरीजों को जहां राहत मिली वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार की गरीब रोगियों के हितार्थ प्रारंभ की गई पीएम-जय यानी आयुष्मान भारत योजना दिल्ली सरकार ने लागू नहीं करने से किरकिरी हुई।, दिल्ली के चार केंद्र सरकार के अस्पताल एम्स, सफदरजंग, आरएमएल, हेडीहार्डिग अस्पताल कैशलेस पण्राली से लैस हो गए।
अग्निकांड से हुई किरकिरी:
एम्स, जय प्रकाश नारायण ट्रामा सेंटर में साल भर में हुए भीषण अग्निकांड से करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। इस घटना में शुक्र यह रहा कि मरीज या कर्मचारी हताहत नहीं हुआ। लेकिन अग्निकांड से कई ऑपरेशन थियेटर, लाखों मरीजों के मेडिकल रिकार्ट जल का खाक हो गए। रखरखाव करने में घोर लापरवाह अभियंताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में भी प्रसाशन ने ढिलाई बरती।

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