भारत चौहान नयी दिल्ली सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 30,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी डालने पर विचार कर रही है। इन बैंकों के बाजार से आवश्यक राशि जुटाने में विफल रहने के कारण सरकार ने यह निर्णय किया है। वित्त मंत्रालय द्वारा अक्टूबर, 2017 में पूंजी डालने की घोषित योजना के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बासेल-3 नियमों के अनुपालन में मार्च, 2019 तक शेयर बाजारों से 58,000 करोड़ रुपये जुटाना था। हालांकि बाजार की स्थिति कमजोर होने के कारण बैंक अब तक शेयर बाजारों से पर्याप्त राशि नहीं जुटा पाए हैं। इसके अलावा मौजूदा वित्त वर्ष के पहली दो तिमाहियों में बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों में भी वृद्धि दर्ज की गयी है। इससे बैंकों के मुनाफे पर दबाव बढा है। हालांकि, बैंकों को बासेल-3 नियमों के तहत पूंजी सुरक्षा भंडार (कैपिटल कंजव्रेशन बफर-सीसीबी) से मोहलत प्राप्त है। आरबीआई ने अपनी पिछली बोर्ड बैठक में सीसीबी लक्ष्य को पूरा करने की अनिवार्यता को एक साल के लिए टाल दिया था। इससे बैंकों के पास 37,000 करोड़ रुपये की पूंजी बची है। इस रियायत के बावजूद सरकारी बैंकों को वैिक नियमों के अनुापलन के लिए अधिक धन की जरूरत होगी। सूत्रों ने बताया कि यह राशि 30,000 करोड़ रुपये की हो सकती है। हालांकि सूत्रों के मुताबिक सरकार इस मुद्दे पर विचार कर रही है और अगले कुछ हफ्तों में इस बाबत फैसला लिये जाने की संभावना है।
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