ज्ञानप्रकाश
नई दिल्ली देश में बढ़ती सिजेरियन डिलीवरी को कम करने के लिए सरकार ने नई तरकीब निकाली है। जल्द ही अस्पतालों को इसके लिए नए दिशा निर्देश भी मिलने वाले हैं। लेकिन उससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य एवयं परिवार कल्याण मंत्रालय ने केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) से जुड़े सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों को आदेश दिया है कि वे हर दिन अपने यहां हुई सिजेरियन डिलीवरी की संख्या हॉल में एक बोर्ड लगाकर उस पर सार्वजनिक करेंगे, ताकि लोगों को पता चल सके कि अस्पताल में कितनी सिजेरियन डिलीवरी हो रही हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि सिजेरियन डिलीवरी की वजह से महिलाओं को काफी दिक्कतें होती हैं। काफी दिन से यह परेशानी देखने को मिल रही थी कि कुछ अस्पताल बीमा क्लेम की वजह से महिलाओं की सामान्य प्रसूति नहीं करते। ऐसी शिकायतें कुछ जिलास्तरीय रीजन हास्पिटल्स और स्वयंसेवी संगठनों की के जरिए सरकार को प्राप्त हो रही है जिसकी गंभीरता से जांच की जा रही है। इसके लिए सख्त कानून बनाया गया है। प्री कन्सेप्सन एंड प्री नियोटल डायग्नोस्टिक टेकनिक एक्ट 1994 (प्रोहमिशन ऑफ सेक्स सेलेक्शन) के तहत अब तक देश भर में 345 इमेजिंग एवं नैदानिक केंद्रों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा चुकी है।
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सिजेरियन डिलीवरी के बढ़ते आंकड़ों ने जरूर सवाल खड़े किए हैं। जिसके चलते मंत्रालय ने फिलहाल सीजीएचएस अस्पतालों को ही ऐसा करने के लिए कहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने उम्मीद जताई की कि जल्द ही ये आदेश देश के हर सरकारी और निजी अस्पताल के लिए लागू होगा। इस बीच एक अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश के कानपुर, चंडीगढ़, दिल्ली, मुंबई और बंगलौर, गुजरात जैसे शहरों में सबसे ज्यादा सिजेरियन डिलीवरी की जा रही हैं। यहां सामान्य प्रसूति का आंकड़ा बेहद कम मिला है। इन्हीं आंकड़ों पर सरकार ने नई योजना पर काम करना शुरू किया है।