अवसाद और विघटन के दिन गए, अब आया कार्टिलेज उगाने का दिन ! -आथरेस्कोपिक लिगामेंट पुर्ननिर्माण प्रक्रिया उन रोगियों के लिए एक वरदान -जो एक सक्रिय और स्पोर्टी जीवन के लिए अपने प्राकृतिक घुटनों के जोड़ों को सबल बनाता है

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भारत चौहान नई दिल्ली , उत्तराखंड राज्य क्रिकेट के खिलाड़ी जयंत (24) चोट लगने के बाद क्षअम घुटने के दर्द से पीड़ित थे। कई डॉक्टरों से परामर्श करने के बाद भी, उन्हें प्रभावी उपचार नहीं मिल सका। उन्होंने अपने खेल कैरियर को फिर शुरू करने की लगभग सभी उम्मीदों को खो दिया था। बीएलके सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के आथरेस्कोपी और स्पोर्ट्स मेडिसिन सेंटर के निदेशक डा. दीपक चौधरी के संपर्क में आने पर उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया है। डा. चौधरी ने अपनी टीम के साथ कुछ साल पहले उन पर ऑटोलॉगस कॉन्ड्रोसाइट इम्प्लांटेशन (एसीआई) का प्रदर्शन किया, जिसने उनका पूरी तरह से इलाज किया और अब वह सक्रिय क्रिकेट में न सिर्फ वापसी की बल्कि हाल ही में राज्य चैंपियनिशप जीती।
डा. चौधरी ने बुधवार को संवाद्दाताओं को बताया कि जयंत की तरह कई युवा खिलाड़ी और 58 वर्षीय गोल्फर, हरभजन सिंह को उन लोगों की सूची में शामिल किया गया है। जिन्हें उन्नत प्रक्रियाओं- एसीआई और हाई टिबियल ऑस्टियोटॉमी (एचटीओ) से लाभान्वित किया गया है।
जटिल प्रक्रिया:
डा. चौधरी के अनुसार एसीआई जोड़ों को संरक्षित करने की एक प्रक्रिया है, जहां पहले चरण में घुटने के जोड़ों का एक आर्थोस्कोपिक मूल्यांकन किया जाता है। इस युवा क्रिकेटर की चोट बहुत निराशाजनक थी। जयंत के मामले में, हमने पाया कि उसके बाएं घुटने में लगभग 20 मिमी 3 16 मिमी का लोकलाइज्ड कार्टलेिज दोष था, जबकि बाकी कार्टलेिज स्वस्थ थीं। घुटने के गैर-कृत्रिम और गैर-भार वाले हिस्से से कार्टलेिज बायोप्सी का एक छोटा टुकड़ा लिया गया और कार्टलेिज सामग्री को फिर लोनावाला ( मुंबई के पास) में एक अत्यधिक विशेष प्रयोगशाला में भेजा गया था, जहां रोगियों की कार्टलेिज कोशिकाओं को कल्र्चड और पुन: उगाया जाता था और 48 मिलियन कॉन्ड्रोसाइट कोशिकाओं तक गुणा किया जाता था। दूसरे चरण में, चार सप्ताह के बाद, जोड़े पर एक छोटा चीरा लगाकर, प्रयोगशाला से प्राप्त कल्र्चड कॉन्ड्रोसाइट्स जेल का उपयोग दोष को भरने के लिए किया गया।

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