50 साल में पहली बार एम्स को दान में मिली आंखों का आंकड़ा दो हजार हुआ पार 53 साल में 29 हजार आंख 20 हजार लोगों को दी रोशनी

दिल्ली.एनसीआर के सभी सरकारी अस्पतालों से जुड़ेगा एम्स नेत्रदान में बनाया रिकॉर्ड

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली ,स्वैच्छिक नेत्रदान महादान है। इसे हर वर्ग के लोगों को ईमानदारी से बढ़चढ़ कर करना चाहिए। साथ ही लोगों को ऐसा ही करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। इसी उद्देश्य को लेकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने कई बड़े मुकाम हासिल कर लिए हैं।
खास सफलता:
एम्स के डा. राजेंद्र प्रसाद नेत्रविज्ञान केंद्र (आरपी सेंटर) ने बीते 53 वर्ष में पहली बार दान में मिली आंखों का आंकड़ा दो हजार पार किया है। वर्ष 2018 में आरपी सेंटर को 2234 आंखें दान में प्राप्त हुई जिनमें से 1426 कॉर्निया को प्रत्यारोपित किया। जबकि इससे पहले वर्ष 2017 में करीब 1800 आंखें दान में मिली थीं। जिनमें से एक हजार प्रत्यारोपित की गई। मंगलवार को एम्स आरपी सेंटर के वरिष्ठ डा. जेएस टिटियाल ने 34वें नेत्रदान पखवाड़े को लेकर संस्थान की उपलब्धियों को साझा किया। उन्होंने बताया कि जल्द ही 3 हजार आंखें प्राप्त करने और 2 हजार से ज्यादा प्रत्यारोपण का लक्ष्य रखा है। इसे पूरा करने के लिए एम्स ने दिल्ली और एनसीआर के सरकारी अस्पतालों को मिलाकर एम्स ने अन्य अस्पतालों के साथ कॉर्निया रिट्रिएवल प्रोग्राम शुरू किया है। जीटीबी और डीडीयू अस्पताल के अलावा आरएमएलए लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल शामिल हैं। जल्द ही एनसीआर के सरकारी अस्पतालों को भी इससे जोड़ा जाएगा। यहां के स्टाफ को प्रशिक्षित करने के बाद यहां से दान में प्राप्त आंखों को एम्स प्रत्यारोपित करेगा। डॉक्टरों के अनुसार दिल्ली एनसीआर के अस्पताल नेत्रदान पर अच्छा काम कर रहे हैं। इसलिए एम्स को अपना लक्ष्य पूरा करने में इन अस्पतालों से काफी मदद मिल सकेगी।
53 साल में 29 हजार आंखे:
डा. टिटियाल ने बताया कि बीते 53 वर्ष में एम्स अब तक 29 हजार आंखें प्राप्त कर चुका है। जिसमें से 20 हजार आंखों को प्रत्यारोपित किया जा चुका है। आंखें प्रत्यारोपित होने के बाद अक्सर मरीजों से फॉलोअप के लिए संपर्क नहीं हो पाता है। इसलिए एम्स जल्द ही एक मोबाइल एप लेकर आ रहा है। जिसके जरिए ट्रैकिंग आसान होगी। इसके अलावा एम्स ने इलाज के दौरान मरने वाले मरीजों को प्रमाण पत्र देने में शत प्रतिशत सफलता हासिल कर ली है। इसका फायदा नेत्रदान से जुड़े काउंसलरों को हो रहा है। इसके अलावा एम्स अपनी वेबसाइट पर नेत्रदान अंगदान के संकल्प पत्र भरवाना भी शुरू कर दिया है। इंडियन आप्थालमालोजिकल सोसायटी के सदस्य एवं आई7 के निदेशक डा. संजय चौधरी ने कहा कि नेत्रदान महादान है। उन्होंने सरकार से ऐसा कानून बनाने का अनुरोध किया कि हर मृतक व्यक्ति की कार्निया को सुरक्षित रखने और नेत्रहीनों में प्रत्यारोपित करना अनिवार्य करे। ऐसा होने से करोड़ा अंधता के शिकार मरीजों को बचाया जा सकेगा।

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