ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, रविवार का दिन उन लोगों के परिजनों के लिए काला दिन रहा। जो करीब 610 गज में बनी फैक्ट्री अग्नि कांड की गिरफ्त में आने से डेथ चैंबर में तब्दील हो गई। गहरी नींद में सो रहे कई परिवारों की खुशियों को जलाकर स्वाह (राख) कर दिया। यह कहते हुए जिदंगी से जूझ रहे मोहम्मद भाई सिसफ पड़े। घायलों को लोकनायक, राममनोहर लोहिया अस्पताल और लेडी हार्डिग अस्पताल में लाया गया। घायलों को लाने से अफरातफरी मच गई। जो जिंदा बचे हैं वे स्तब्ध हैं।
शवों की पहचान करना चुनौती:
सबसे ज्यादा दिक्कतें घायलों के परिजनों को लोकनायक अस्पताल की इमरजेंसी में हुई। दरअसल, घायलों की पहली खेप केंद्रीयकृत सदमा एवं सुश्रुत सेवाएं (कैट्स) की तीन एम्बुलेंस की मदद से एक साथ 8 लोगों को यहां लाया गया। सुबह साढ़े दस बजते बजते यहां कुल 53 लोगों को विभिन्न कैट्स एम्बुलेंस और पीसीआर वैन की मदद से लाया गया। पुलिस वाले सूची बना रहे थे तो डाक्टर उनका नाम व उम्र जानने के लिए पुलिस से पूछ रहे थे। तमाम दिक्कतों के बावजूद डाक्टरों की कड़ी मेहनत से जैसे जैसे इनके नब्ज को टटोला गया। इनमें से सायं 6 बजे तक यहां लाए गए कुल घायलों में से 36 को मृत घोषित कर दिया। जबकि अन्य को यहां भर्ती कराया गया है। जहां पर उनकी हालत स्थिर है। घायलों को इतनी ज्यादा संख्या में लाने से कई बार यहां इमरजेंसी के प्रवेश द्वार पर तैनात सुरक्षाकर्मियों से घायलों की कुशलक्षेम जानने के लिए आने वालों में झड़प भी हुई। लेकिन मातमी महौल के चलते हर शख्स ने सब्र व धैर्य का परिचय दिया।
लेडी हार्डिग:
कमोवेश ऐसी ही हालत लेडी हार्डिग अस्पताल की इमरजेंसी में देखी गई। दरअसल, लोकनायक अस्पताल की मोरचरी में पहले से ही करीद एक दर्जन से अधिक शव रखे हुए थे, इन शवों को लाने के बाद वहां जगह फूल हो गई थी। इस वजह से इनमें घटनास्थल से इमरजेंसी तक लाने के बाद उन्हें लेडी हार्डिग रेफर किया गया। जहां पर पूर्वाह्न 11 बजे तक 10 घायलों को भर्ती कराया गया था। इनमें से 9 को डाक्टरों ने प्राथमिक जांच के बाद मृत घोषित कर दिया। जिनके शव को यहां की मोरचरी में रखा गया है, जबकि मोहम्मद अफजल नामक मरीज को यहां मेडिकल आईसीयू में रखा गया है। जहां पर उसकी हालत स्थिर बताई गई। आरएमएल में सिर्फ एक घायल को लाया गया जिसे बाद में डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
संशय की स्थिति:
लोकनायक अस्पताल की मोचरी के बाहर मो. खान ने कहा कि अग्नि शमन विभाग व दिल्ली पुलिस से लोग यह जानकारी हासिल करने का प्रयास करते रहे कि मरीजों किस किस अस्पताल में ले जाया गया है, उनके नाम क्या हैं। उनकी शिनाख्त कब तक हो पाएगी। लेकिन अपराह्न 3 बजे तक घायलों और मृतकों की सूची तैयार नहीं हो सकी थी। जिससे हमें एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकना पड़ा। मनहूस बिल्डिंग करार देते हुए साकिर ने कहा कि कुछ दिन पहले भी यहां पर शॉट सर्किट हुआ था। इसमें ज्यादा बाल मजदूरी करने वाल श्रमिक थे।
परिवार ही लील लिया: वाजिद
बैग बनाने का काम करने वाले वाजिद अली ने बताया कि जहां आग लगी उस फैक्ट्री में उसके भाई भी काम करते थे। घटना की जानकारी मिलते ही स्थल के तरफ भागे। वहां जाने के बाद पता चला कि घायलों को अस्पताल ले गए हैं। वह अपने अन्य परिजनों के साथ लोक नायक अस्पताल पहुंचे। यहां काफी तलाशने के बाद भी कुछ नहीं मिला। पुलिसवालों के साथ लेडी हार्डिंग अस्पताल पहुंचे। यहां शवगृह में शवों की पहचान करते हुए उसे 17 वर्षीय मोहम्मद अताबुल मिला जो उनके चाचा का बेटा है। उसे देखते ही वह पूरी तरह से टूट गए। वाजिद ने बताया कि इस घटना में उनके दो भाई 23 वर्षीय साजिद और 17 वर्षीय वजीर नहीं मिल रहे। देर रात तक वह उनकी तलाश करते रहे। उन्होंने कि इस अग्निकांड ने उनका परिवार ही खत्म कर दिया।
610 गज में बनी डेथ चैंबर में तब्दील फैक्ट्री! -परिजन भी नहीं पहचान पा रहे हैं अपनों के शव -शिनाख्त और सूची बनाने में कड़ी मशक्त, रिश्तेदारों को नहीं मिल पाई सही जानकारी
-लोकनायक, लेडी हार्डिग, आरएमएल में मची अफरातफरी -डाक्टर दिखे एक्शन में, जान बचाने की कोशश