ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली, डाक्टर बिरादरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 1 जनवरी को वर्ष 2019 के पहले साक्षात्कार में प्रदूषण, स्वास्थ्य, स्वास्थ्य सेवाएं जैसे मुद्दों पर चर्चा नहीं करने पर नाखुशी जाहिर की है। डाक्टरों का कहना है कि सभी की निगाहें और कान यह समझने के लिए इंटरव्यू पर लगे थे कि उनसे पूछे गये ढेरों सवालों के उत्तर में वे क्या कहेंगे। ऐसे समय में जबकि पार्टी और उसके लोगों में भरोसा घटते जाने की अटकलें हैं, उन्होंने हर सवाल का जवाब बड़े धैर्य और समझदारी से दिया, जैसा कि देश के एक बड़े नेता से उम्मीद की जाती है। जबकि जीएसटी से लेकर सत्ता में वापस आने तक की संभावनाओं को लेकर ढेरों सवाल पूछे गये, स्वास्थ्य, स्वास्थ्य सेवाएं और प्रदूषण जैसे मुद्दे इनमें गायब से रहे। आयुष्मान भारत का बहुत थोड़ा सा उल्लेख किया गया और यह भी कि यह योजना विफल नहीं है, बाकी दोनों विषयों पर खास विस्तार से चर्चा नहीं की गयी।
मुद्दे हैं अहम्:
एचसीएफआई के अध्यक्ष पद्मश्री डा. केके अग्रवाल ने कहा, प्रधानमंत्री के साथ नये साल के पहले दिन लगभग 90 मिनट की बातचीत में, एक न्यूज एजेंसी या खुद नेता द्वारा स्वास्थ्य पर शायद ही कोई चर्चा की गयी। जबकि राजनीतिक हिंसा के बारे में बात की गयी थी, डाक्टरों के खिलाफ हिंसा का उल्लेख नहीं किया गया। आर्थिक स्वास्थ्य को प्रमुखता मिली, लेकिन जनता के स्वास्थ्य पर बात नहीं हुई। 90 मिनट के एजेंडे में प्रदूषण के कारण होने वाले नुकसान और इसके रोकथाम का कहीं जिक्र ही नहीं हुआ। मुझे ढ़ता से लगता है कि स्वास्थ्य, स्वास्थ्य देखभाल और प्रदूषण को राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों के साथ ही प्रमुखता दी जा सकती है।
इंडियन कार्डियलॉजी सोसायटी के सदस्य डा. रजनीश मल्होत्रा ने कहा कि मुझे लगता है बेहतर होता, अगर स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं, गुणवत्ता तथा सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पहुंच, और साथ ही प्रदूषण (इनडोर और आउटडोर दोनों) से मुकाबला कैसे किया जाये जैसे मुद्दों पर विस्तार से बात की जाती। जो योजनाएं लागू की गयी हैं, वे निश्चित रूप से लाभकारी हैं, लेकिन बड़ी आबादी द्वारा इसका लाभ उठाने के लिए अधिक सक्रिय दृष्टिकोण की आवश्यकता है। प्रदूषण के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं बहुत गंभीर मुद्दा है और इस पर बहुत अधिक विचार किए जाने की आवश्यकता है। आईएमए के महासचिव डा. आरएन टंडन ने कहा कि देश में पहली बार आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना से स्वास्थ्य की हालत में सुधार दर्ज किया गया है। प्रदूषण से लोगों का जीवन वहीं बद से बदतर हो रहा है। देशवासियों के अलावा यहां का टुअरिज्म पर वायु प्रदूषण पर असर सहजता से देखा जा सकता है। ऐसे में इसका जिक्र न करना चिंता का विषय है।