एम्स-जेपीएन ट्रामा सेंटर के डाक्टरों ने चार घंटे की जटिल सर्जरी कर मरीज के सीने से से निकाला 97 र्छे, टुटी हड्डियों के टुकड़े, रूई -चार साल से अदद इलाज के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में भटकना पड़ा -सालों तक दर्द भरे पल थे अब राहत भरे, याद कर सिहर उठता है आरिफ

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ज्ञानप्रकाश नई दिल्ली , अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के शल्य चिकित्सकों काबलियत का लोहा देश के ही नहीं वि के डाक्टर भी मानते हैं। इसी कड़ी में अब एम्स-जेपीएन सुश्रुत केंद्र के अनुभवी डाक्टरों की टीम ने 48 वर्षीय एक व्यक्ति के सीने में घुसे 97 छर्रे, टुटी हुई पसली की हड्डियों के टुक ड़े अैर 2 ग्राम वजन रुई निकालने में सफालता हासिल की है। मूलत: उत्तर प्रदेश के एटा के रहने वाले आरिफ खान को चार साल पहले एक वारदात में ये र्छे सीने में घुसे थे। उस दौरान जिला अस्पताल के डाक्टरों ने सर्जरी कर कुछ छर्रे व घाव को सर्जरी कर भर दिया था। लेकिन उसमें घोर लापरवाही की थी। हल्का हल्का दर्द सहते हुए वे चार साल से एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटक रहे थे। लंबी जद्दोजहद के बाद यहां के डाक्टरों ने सर्जरी को अंजाम दे उसकी जान बचाई।
जीवटता का नमूना, हालत थी नाजुक:
इन कारणों से मरीज में संक्रमण बढ़ता जा रहा था, जो मरीज की जान को खतरा पैदा कर रहा था। ऑपरेशन में देरी से हो सकती थी मौत। ट्रॉमा सेंटर में सर्जरी विभाग के प्रो. डॉ. विप्लव मिश्रा ने कहा कि मरीज के शरीर में छर्रे व रूई की वजह से क्रमण बढ़ने लगा था। इससे फेफड़े के बाएं हिस्से की नसें प्रभावित होने लगी थीं। अगर संक्रमण फेफड़े व हृदय तक पहुंच जाती तो उसकी मौत भी हो सकती थी। डॉ. मिश्रा ने घरवालों को ऑपरेशन के जोखिम के बारे में बता दिया कि इसमे मरीज की मौत भी हो सकती है। लेकिन जब घरवालों ने ऑपरेशन कराने का फैसला किया तो बीते 3 जनवरी 2020 को करीब चार घंटे तक चले ऑपरेशन में मरीज के सीने से 97 छर्रे व रूई के हिस्से निकाले गए। ये छर्रे पपीते के बीज के आकार के थे। सर्जरी के तीसरे दिन मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
रिश्तेदार ने मारी थी गोली :
डॉक्टरों के अनुसार, करीब साढ़े चार साल पहले सर्दियों में ही आरिफ को गोली मारी गई थी। उस दिन वह अपने घर में रजाई ओढ़कर सो रहा था। संपत्ति के विवाद में एक रिश्तेदार ने देसी कट्टे से इतने करीब से गाली मारी कि छरे के साथ-साथ पसली की हड्डी टूटकर व रजाई की रूई भी सीने में करीब 8 सेंटीमीटर अंदर जगह-जगह फंस गई थी। छर्रे सीने में हृदय के ऊपरी हिस्से व फेफड़े के नजदीक फंसे हुए थे। इस कारण सीने में गड्ढा (कैविटी) बन गया था और बाहर भी टेनिस बॉल की तरह उभार दिखने लगा था। को करीब साढ़े चार साल पहले सीने में गोली मारी गई थी। तब से उसके सीने में 97 छर्रे, पसली की हड्डी का टुकड़ा व रजाई की रूई का हिस्सा फंसा हुआ था। बाद में इससे संक्रमण हो गया और मवाद आने लगा।
एम्स में मिला नया जीवन:
आरिफ के परिजनों के अनुसार इसे निकालने के लिए मेरठ व दिल्ली समेत कई स्थानों पर ऑपरेशन कराने की कोशिश की, लेकिन डॉक्टरों ने जान जाने की जोखिम बता कर ऑपरेशन से इंकार कर दिया। उसे छुट्टी दे दी गई। लेकिन उसे फालोअप के लिए आना पड़ेगा।

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