भारत चौहान/ज्ञान प्रकाश नई दिल्ली, दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) राजधानी को नकली डाक्टरों से मुक्त दिल्ली अभियान चलाया है। इसके तहत वर्ष 2018 में 310 शिकायतें मिली इनमें से 105 कारण बताओ नोटिस जारी किया गया जबकि 69 ऐसे वैद्यो की पहचान की गई जो एलोपैथ दवाओं की आपूर्ति करते पाए गए। वे मरीजों को एलोपैथ दवाएं न सिर्फ प्रेस्क्राइब्ड कर रहे थे बल्कि रोगियों को कई प्रतिबंधित सिरप व अन्य प्रकार की दवाओं को खाने के लिए भी सुझाव देते पाए गए। इन्हे तत्काल प्रभाव से क्लीनिक बंद कराया गया। जबकि इस दौरान 51 क्लीनिकों को बंद करने के साथ ही नकली डाक्टरी के दस्तावेज पाए जाने पर स्थानीय पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई गई । इस कार्य को अंजाम देने के लिए न्यायालय का भी सहयोग लिया जा रहा है।
डीएमसी दिल्ली सरकार की स्वावत्त संस्था है जो दिल्ली क्षेत्र में एलोपैथ की प्रैक्टिश करने वाले डाक्टरों की डिग्री पंजीकृत करती है, ये पंजीकरण तभी किया जा सकता है जब प्रत्याशी भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद (एमसीआई) ने पंजीकरण संख्या जारी कर दे। दिल्ली मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डा. गिरीश त्यागी ने बताया कि वर्ष 2016-2017 के दौरान कुल 380 डाक्टरों की शिकायतें मिली। इसके तहत 97 लोगों को कारण बताओं नोटिस जारी किया गया जबकि 69 लोगों को क्लीनिक बंद करने के निर्देश जारी किए गए। इसी तरह से 65 ऐसे नकली डाक्टरों की पहचान की गई जिनके पास डिग्री तो थी भारतीय चिकित्सा पद्धतियों (आईएसएम) की मसलन, आयुव्रेद, होम्योपैथ, प्राकृतिक, सिद्धा आदि की लेकिन वे बे रोक टोक माडर्न दवाओं को मरीजों को प्रेस्क्राइब्ड करते पाए गए, 65 लोगों के खिलाफ पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई गई। वर्ष 2019 में अब तक 9 डाक्टरों के दस्तावेजों में गड़बड़ संबंधी शिकायतें मिली है, इनमें चार तो ऐसी भी है कि इलाज में कथित लापरवाही के हैं। इसकी विशेषज्ञों की कमेटी जांच कर रही है। फिलहाल दो मामले दिल्ली हाई कोर्ट में चल रहे हैं। इसके तहत इलाज में कथित तौर पर लापरवाही के आरोप है।